मकरसंक्रांति की ऐसी बाते जो कोई नहीं जानता !
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मकर संक्रांति भारत का एक प्रमुख त्यौहार है, जिसे हर साल 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है। यह पर्व सूर्य देवता को समर्पित है और इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। मकर संक्रांति को नई ऊर्जा, फसल कटाई और मौसम परिवर्तन का प्रतीक माना जाता है।
मकर संक्रांति का महत्व:
सूर्य का मकर राशि में प्रवेश:
यह वह समय होता है जब सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर अग्रसर होता है।
उत्तरायण को शुभ समय माना जाता है और इसे जीवन में नई शुरुआत का प्रतीक माना जाता है।
फसल कटाई का पर्व:
यह त्योहार मुख्यतः किसानों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि यह नई फसल के आने की खुशी में मनाया जाता है।
इसे फसल उत्सव भी कहा जाता है।
पवित्र स्नान का महत्व:
मकर संक्रांति पर गंगा, यमुना, और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति का विश्वास है।
इस दिन प्रयागराज, हरिद्वार और अन्य तीर्थ स्थलों पर विशेष स्नान का आयोजन होता है।
दान और पुण्य का पर्व:
मकर संक्रांति पर दान करने का विशेष महत्व है।
लोग तिल, गुड़, कपड़े, अन्न और धन का दान करते हैं।
कैसे मनाया जाता है मकर संक्रांति?
तिल और गुड़ के लड्डू:
इस दिन तिल और गुड़ से बनी मिठाइयां खाई और बांटी जाती हैं।
इसका संदेश है कि जीवन में मिठास और सामंजस्य बनाए रखना चाहिए।
पतंगबाजी:
गुजरात, राजस्थान, और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में इस दिन पतंग उड़ाने का विशेष प्रचलन है।
पतंगबाजी उत्साह और आनंद का प्रतीक है।
लोकल परंपराएं:
तमिलनाडु में इसे पोंगल, पंजाब में लोहड़ी, और असम में भोगाली बिहू के रूप में मनाया जाता है।
हर क्षेत्र में इसे मनाने का तरीका भले ही अलग हो, लेकिन संदेश एक ही है – नई ऊर्जा और समृद्धि।
मकर संक्रांति का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व:
आध्यात्मिक दृष्टिकोण:
इस दिन सूर्य देव को पूजा जाता है और उनके आशीर्वाद से जीवन में सकारात्मकता लाने की प्रार्थना की जाती है।
यह त्योहार यह संदेश देता है कि हर कठिनाई के बाद नया सवेरा आता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण:
मकर संक्रांति से दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं।
यह मौसम परिवर्तन और फसल कटाई का समय होता है।