Home > ब्लॉग > गुजरात पाकिस्तान में नहीं! …फिर भी…

गुजरात पाकिस्तान में नहीं! …फिर भी…

​शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के लिए एक बार फिर भाजपा को आडे हाथों लेने का प्रयास किया है। ​गुजरात में बढ़ती ड्रग्स तस्करी ने यही सवाल खड़ा किया है​, आखिर भाजपा शासित गुजरात में तेजी से एक्शन क्यों नहीं इसको लेकर....

गुजरात पाकिस्तान में नहीं! …फिर भी…
X

पिछले पांच वर्षों में हमारे देश में अरबों रुपए की 'ड्रग्स' की खेप जप्त की गई है। ये स्टॉक पकड़ा गया लेकिन जो नहीं पकड़ी गई, नशीले पदार्थों की वह खेप देशभर की युवा पीढ़ी को बर्बाद कर रही होगी। ७२ वर्षों बाद हमारे देश में नामीबिया से आठ चीते लाए गए। उस उत्सव से हमारे सत्ताधारी बाहर निकल गए होंगे तो उन्हें देश में भर-भर के आ रहे नशीले पदार्थों की खेप पर गंभीरता से नजर डालनी चाहिए। 'उड़ता पंजाब' ने सभी की नींद उड़ा दी है। उसके बाद गुजरात राज्य में सर्वाधिक नशीले पदार्थों की खेप पकड़ी जा रही है। मुंबई के एक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर २६ विदेशियों के पेट से १०० करोड़ रुपए की ड्रग्स पकड़ी गई। जहां से आठ चीते लाए गए हैं, उसी अप्रâीका के आस-पास के प्रदेशों से ये विदेशी मेहमान पेट में ड्रग्स लेकर आए थे। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ड्रग्स माफियाओं ने गुजरात के रास्ते हिंदुस्थान में घुसपैठ की है। पिछले ६ महीनों में गुजरात के तटीय क्षेत्र में ३० हजार किलो ड्रग्स पकड़ी गई है। इस ड्रग्स की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमत ५ हजार करोड़ रुपए है।


महाराष्ट्र से 'वेदांता-फॉक्सकॉन' परियोजना गुजरात में उड़ा ले जाते ही महाराष्ट्र पर अन्याय होने की भावना और रोष व्यक्त हुआ। उपमुख्यमंत्री श्री फडणवीस ने इस पर कहा कि फॉक्सकॉन के गुजरात में जाने से क्या बिगड़ गया? क्या गुजरात पाकिस्तान में है? श्रीमान फडणवीस आपका मुद्दा उचित है। गुजरात, पाकिस्तान में नहीं है लेकिन गुजरात में पाकिस्तान, ईरान और अफगानिस्तान से संबंधित 'ड्रग्स माफियाओं' की टोली से कनेक्शन का खुलासा हुआ है। भारत जोड़ो यात्रा में निकलने से पहले राहुल गांधी गुजरात गए और उन्होंने गुजरात में बढ़ रहे नशे के कारोबार को लेकर हमला बोला। 'गुजरात ड्रग्स का केंद्र बन गया है। मुंद्रा बंदरगाह से ड्रग्स की तस्करी की जा रही है। डबल इंजन सरकार में कौन बैठा है जो सतत ड्रग्स और शराब माफियाओं को संरक्षण दे रहा है और गुजरात के युवकों को नशे की गर्त में धकेल रहा है। ड्रग्स माफियाओं पर गुजरात सरकार कोई कार्रवाई नहीं करती। यही 'गुजरात मॉडल' है', ऐसा प्रहार करते ही राहुल गांधी की अक्ल पर सवाल उठाए गए। गुजरात में दस हजार करोड़ का अवैध शराब का कारोबार किसकी सरपरस्ती में चल रहा है, ऐसा सवाल अरविंद केजरीवाल द्वारा पूछे जाते ही उनके दिल्ली के मंत्रियों पर छापे पड़ते हैं।

लेकिन गुजरात में सब सहज चलता है। गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह पर जून महीने में पांच सौ किलो कोकीन जप्त की गई थी। इसके बाद जखाऊ बंदरगाह के पास २५० करोड़ की हेरोइन तस्करी का खुलासा हुआ। इसी दौरान पाकिस्तानी नौका से ५० किलो हेरोइन की खेप गुजरात लाई जा रही थी। ५० किलो हेरोइन की कीमत अंतर्राष्ट्रीय बाजार में २५० करोड़ रुपए है। मुंद्रा बंदरगाह से पांच सौ करोड़ रुपए की कोकीन जप्त की गई, जो ईरान से लाई गई थी। नमक की थैलियां बताकर ये लाई गई थीं। ये पकड़ी गर्इं लेकिन ऐसे सैकड़ों करोड़ की 'नमक की थैलियां' गुजरात के रास्ते देश में गई होंगी। गुजरात के इसी बंदरगाह से १५ सितंबर, २०२१ को तीन हजार किलो ड्रग्स पकड़ा गया था। तब देशभर में हड़कंप मच गया था। इसी मुंद्रा पोर्ट पर हुई कार्रवाई में दो दिन पहले ५० करोड़ रुपए की 'ई-सिगरेट' नामक नशीली खेप जप्त की गई। चीन से आए दो संदिग्ध कंटेनर से ई-सिगरेट के २ लाख ४०० पैकेट मुंद्रा बंदरगाह पहुंचे। हिंदुस्थान में 'ई-सिगरेट' पर पाबंदी है। यानी अब पाकिस्तान के साथ-साथ चीन भी गुजरात की भूमि पर नशे के धुएं छोड़ रहा है।

मुंबई क्राइम ब्रांच ने अगस्त महीने में गुजरात में 'एमडी ड्रग्स' का कारखाना नष्ट किया था। इसी दौरान १,४०६ करोड़ रुपए की 'एमडी' की खेप जप्त की गई। यह 'ड्रग्स' गुजरात के अंकलेश्वर स्थित औद्योगिक कॉलोनी में बनाया जा रहा था। यह बात गंभीर है और देश की सुरक्षा की दृष्टि से चिंताजनक है। गोवा में सोनाली फोगाट की मृत्यु अम्लीय पदार्थ के सेवन से होने का खुलासा होते ही गोवा के तट पर स्थित उस होटल को ही गिरा दिया गया और अगली जांच के लिए वहां सीबीआई पहुंची, लेकिन गोवा के कई तटों को रशियन, नाइजीरियन ड्रग्स माफियाओं ने कब्जे में ले लिया है और वहां पुलिस भी कदम रखने से डरती है। क्या गोवा में 'ड्रग्स' की आपूर्ति गुजरात के रास्ते होती है? यह जांच का विषय है लेकिन सीबीआई की टीम जांच के लिए गुजरात नहीं पहुंची। ड्रग्स तस्करी और उसके वित्तीय लेन-देन की जांच करना 'ईडी' जैसी जांच एजेंसियों का काम है। लेकिन हजारों करोड़ के नशीले पदार्थों की तस्करी और लेन-देन का खुलासा होकर भी 'ईडी' ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। इसका खुलासा हो गया है कि अंतर्राष्ट्रीय माफिया गुजरात के रास्ते ड्रग्स तस्करी का बड़ा गोरखधंधा चला रहे हैं। ये ड्रग्स माफिया पहले पंजाब के रास्ते तस्करी करते थे। बाद में दक्षिण के रास्ते तस्करी शुरू की। अब उन्होंने गोरखधंधे के लिए सुरक्षित स्थान के तौर पर गुजरात की ओर मोर्चा मोड़ दिया है। 'नोटबंदी' के बाद नशीले पदार्थों के कारोबार और नकली नोट छापने के धंधे पर अंकुश लगेगा, ऐसा हमारे प्रधानमंत्री का वचन था। लेकिन इसके विपरीत ये दोनों गोरखधंधे चीतों की तरह तेजी से आगे जा रहे हैं और उसका मुख्य केंद्र गुजरात बन गया है।

पाकिस्तानी, ईरानी, अफगानी तस्करों को गुजरात के तट और भूमि इतनी सुरक्षित क्यों लग रही है? इसके पीछे कौन-सी महाशक्ति है? तस्करी का पैसा असल में कहां घुमाया जा रहा है? महाराष्ट्र के ५० विधायकों को गुजरात में आश्रय दिया, यह तो जगजाहिर है। इसके अलावा हर एक को ५० खोखे दिए, यह आरोप भी लग रहे हैं। क्या ये हजारों करोड़ रुपए इसी ड्रग्स तस्करी का हिस्सा है? ऐसे कई देशहित के सवाल नए से खड़े हुए हैं। गुजरात यदि 'ड्रग्स' का अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक केंद्र बन गया है तो भविष्य में महाराष्ट्र के लिए चिंता की स्थिति पैदा हो जाएगी। गुजरात के बंदरगाह पर कंटेनर से भंगार के सामान में अमेरिकन गांजा और अफगानी हेरोइन बड़े पैमाने पर लाई जाती है। गुजरात की सीमा पाकिस्तान से सटी हुई है, पर वहां 'बीएसएफ' की सुरक्षा व्यवस्था है। पश्चिम बंगाल की सीमा से जानवरों की तस्करी होती है और उस तस्करी में तृणमूल कांग्रेस के नेता शामिल हैं, ऐसे आरोप भाजपा द्वारा लगाए जाते ही तृणमूल के सांसद अभिषेक बनर्जी ने कड़ा जवाब दिया। उन्होंने भाजपा को आईना ही दिखा दिया। सीमा पर 'बीएसएफ' यानी सीमा सुरक्षा बल तैनात है। 'बीएसएफ' किसके अधीन है? इसलिए इस तस्करी में कौन शामिल है और इस तस्करी का पैसा किसकी जेब में जा रहा है? बनर्जी द्वारा ऐसा सवाल उठाते ही भाजपावालों के मुंह देखने जैसे हो गए।

गुजरात में बढ़ती ड्रग्स तस्करी ने यही सवाल खड़ा किया है। मुंबई-महाराष्ट्र की १० प्रतिशत कमीशनखोरी पर खुद का बुलबुल बजानेवालों को गुजरात की ड्रग्स तस्करी का पैसा कहां जाता है, महाराष्ट्र में शिवसेना को तोड़ने और मौजूदा सरकार बनाने के लिए यह पैसा वैâसे काम आया, इस पर बैंड-बाजा बजाना चाहिए। इस पैसे का मालिक कौन है? उसमें से कौन-कौन जेल जाएगा? भाजपा के तोते ये घोषित करें। 'सी समरी' करके मामला दबाने का यह विषय नहीं है। राष्ट्रीय सुरक्षा और युवा पीढ़ी को बचाने का यह मसला है। गुजरात आपके जितना ही हमारे लिए भी भावनात्मक विषय है। अपने जुड़वे भाई को पाकिस्तान, ईरान, अफगानिस्तान के ड्रग्स माफियाओं के कब्जे में वैâसे जाने दें? गुजरात को बदनाम करने की साजिश कुछ लोगों द्वारा रचे जाने की चिंता प्रधानमंत्री मोदी ने भुज के एक कार्यक्रम में व्यक्त की थी। गुजरात की बदनामी घर के ही लोग कर रहे हैं। ढूंढ़ो तो मिल जाएंगे!

Updated : 23 Sep 2022 2:16 AM GMT
Tags:    
Next Story
Share it
Top