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सामना संपादकीय के जरिए एक बार फिर शिवसेना ने केंद्र सरकार और भाजपा पर हमला, भांग के नशे का सपना!

सामना के संपादक और सांसद शिवसेना नेता संजय राउत को ईडी द्वारा गिरफ्तार किए जाने के एक दिन बाद समाना संपादकीय से समग्र राजनीतिक स्थिति की समीक्षा करते हुए ईडी और भाजपा की गिरती राजनीति की कटु शब्दों में आलोचना की गई है।

सामना संपादकीय के जरिए एक बार फिर शिवसेना ने केंद्र सरकार और भाजपा पर हमला, भांग के नशे का सपना!
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महाराष्ट्र और देश की पूरी राजनीति को निचले स्तर पर पहुंचा ही दिया गया था। लेकिन अब कितने निम्न स्तर पर पहुंच गई है यह दिखाई देने लगा है। शिवसेना नेता व 'सामना' के कार्यकारी संपादक संजय राऊत को 'ईडी' द्वारा गिरफ्तार करते ही शिंदे गुट के विधायकों ने खुशी व्यक्त की तो भाजपा के लोगों ने जश्न मनाया। मुख्यमंत्री शिंदे ने तो कमाल ही कर दिया, 'कर नहीं तो डर वैâसा', ऐसा मासूमियत भरा बयान देकर समय व्यतीत कर दिया। 'ईडी' से डरकर कौन भागा और दिल्ली में जाकर वैâसे, कौन शरणागत हुआ इसे देश ने देखा है। संजय राऊत भाजपा की 'वॉशिंग मशीन' में जाकर शुद्ध और स्वच्छ हो गए होते तो उन पर इस गिरफ्तारी और यातना का संकट नहीं आता। श्री राऊत पर की गई कार्रवाई जानबूझकर, राजनीतिक बदले की भावना से की गई है। उन्हें गोरेगांव पत्रा चॉल मामले का सूत्रधार ठहराने के लिए कई फर्जी सबूत खड़े किए गए। उनके घर पर छापा मारा गया। मूलरूप से कानून और नियम इस देश में रह ही नहीं गया था। लेकिन अब संविधान, लोकतंत्र जैसे शब्दों की भी प्रतिदिन हत्या हो रही है। संसद का मॉनसून सत्र जारी रहते हुए राज्यसभा के वरिष्ठ सदस्य राउत की गिरफ्तारी हुई।

संसद सत्र और उपराष्ट्रपति पद का चुनाव होने तक छूट दी जाए और उसके बाद मैं जांच के लिए हाजिर रहूंगा, ऐसा पत्र उन्होंने अधिकारियों को दिया। इस पर कोई प्रतिक्रिया न देते हुए रविवार की सुबह 'ईडी' की टीम राऊत के घर में घुस गई और उन्हें हिरासत में ले लिया। लेकिन यह तो जांच एजेंसियों के अत्याचार और दिल्लीश्वरों की तानाशाही का आखिरी छोर है। शासकों ने ऐसा निर्धारित कर लिया है कि सत्य और स्पष्ट बोलने वालों की जीभ ही काट दी जाए या गला घोंट दिया जाए, ऐसा घिनौना कृत्य इंदिरा जी द्वारा लगाए गए आपातकाल के दौरान भी नहीं हुआ था। जिस देश में राजनीतिक विरोधियों के साथ सम्मान से पेश नहीं आया जाता, उस देश में लोकतंत्र और स्वतंत्रता का महत्व समाप्त हो जाता है और बाद में देश खत्म हो जाता है। आज हमारे देश में आखिर क्या चल रहा है? संजय राऊत की गैरकानूनी गिरफ्तारी होते ही गिरीश महाजन ने खुशी से उत्साहित होते हुए कहा, 'एकनाथ खडसे को कोर्ट ने क्लीन चिट नहीं दी है और वे भी अपने दामाद के साथ जेल जाएंगे।' इसका क्या मतलब निकाला जाए? आप देश के कानून और संविधान के जनक बन गए हैं या कानून को आप कोठी पर नचाकर उस पर दौलत उड़ा रहे हैं? राजनीतिक विरोधी चाहे वे सोनिया गांधी, राहुल गांधी, शरद पवार हों या संजय राऊत, हमारे खिलाफ बोला या विपक्ष को एकजुट करने की हलचलें की तो याद रखो, ऐसी ही यह एक तरह से स्पष्ट चेतावनी है।




शिवसेना के अनिल परब के अस्वामित्व वाले और अब तक शुरू न हुए रिसॉर्ट से समुद्र में पानी छोड़ा ऐसे भयंकर अपराध के लिए परब की कठोर जांच होती है। १०-११ वर्ष पहले के ५०-५५ लाख के लेन-देन के मामले में फर्जी मामला गढ़कर संजय राऊत को जेल भेजा जाता है। वर्ष २००४ के चुनाव के हलफनामे में पुश्तैनी घर के मामले में श्री शरद पवार को आयकर विभाग अब नोटिस भेजता है। वहीं नीरव मोदी, मेहुल चौकसी, विजय माल्या, ललित मोदी जैसे कई आर्थिक गुनहगार विदेश भाग जाते हैं। मूलरूप से जिन पर 'ईडी' द्वारा कार्रवाई की जानी चाहिए वैसे असंख्य महात्मा आज सत्ताधारी पार्टी में विराजमान हैं। इतना ही क्यों, शिवसेना से शिंदे नामक गुट में जो विधायक, सांसद शामिल हुए और जो अपनी खोखली छाती छिपाकर हिम्मत के बोल बोल रहे हैं उनमें से कइयों पर 'ईडी', इनकम टैक्स की कार्रवाई का डंडा ही नहीं चलाया गया था, बल्कि उनकी गिरफ्तारी तक मामला पहुंच गया था। अब ये सभी लोग पुण्यात्मा हो गए और 'कर नहीं तो डर कैसा ' का झुनझुना बजा रहे हैं। भगोड़े नामर्दों के कारण शिवराय का महाराष्ट्र बदनाम हो रहा है।

महाराष्ट्र की जनता जब शिवराय का नाम लेती है तब खुली छाती से न हिचकिचाते 'ईडी' हो या और कोई उसका निडरता से सामना करते हैं। 'कर नहीं तो उसे डर कैसा ' कहते हैं, वैसी ही निडरता संजय राऊत ने दिखाई। संजय राऊत ने छह महीने पहले एक सनसनीखेज पत्र राज्यसभा के सभापति श्री वेंवैâया नायडू को लिखा। महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार गिराने के लिए मदद करो अन्यथा अंजाम बुरा होगा। आपके पीछे जांच का झमेला लगा दिया जाएगा। ऐसा कहने के लिए दिल्ली के कुछ प्रेमी लोग राऊत के घर पहुंचे। श्री राऊत द्वारा इंकार करते ही उन्होंने ़इस कार्रवाई और धमकी की तलवार जिसकी गर्दन पर रखी, उसने अब ठाकरे की सरकार गिरा दी है। इस क्रोनोलॉजी को समस्त देशवासी समझ लें तो हमारे देश में असल में क्या चल रहा है, इसकी कल्पना आ जाएगी। भाजपा में जाने के बाद चैन की नींद आती है।




ईडी, सीबीआई का डर नहीं, ऐसा हर्षवर्धन पाटील जैसे लोग कहते हैं। यही आज का सत्य है। लेकिन ये चैन की नींद देश के लिए काल निद्रा साबित होगी और पूरा देश आतंक के अंधेरे में डूब जाएगा, ऐसा माहौल है। महाराष्ट्र पर एक के बाद एक चोट पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। महाराष्ट्र को तोड़ना है तो पहले शिवसेना को खत्म करना होगा। शिवसेना खत्म करनी है तो तोड़-फोड़, दहशत निर्माण करना और उससे पहले संजय राऊत जैसे लड़ाके व प्रखर बोलनेवाले, लिखनेवाले, राज्यभर में घूमनेवाले नेता को झूठे मामले में पंâसाकर जेल में डालना, ऐसे उद्योग शुरू हैं। परंतु महाराष्ट्र ही क्या शिवसेना भी कभी नहीं झुकेगी। कितने लोगों को जेल में डालोगे? जेल कम पड़ जाएंगे। ऐसा समय आप पर आए बगैर नहीं रहेगा। सत्ता का अमर पट्टी बांधकर कोई पैदा नहीं हुआ है। शिवराय का यह राज्य डूबे उससे पहले उसे नामर्द कर दें, ऐसा किसी को लगता है तो वे भांग के नशे में हैं। भांग के नशे में वो सपना देख रहे हैं। महाराष्ट्र और शिवसेना लड़ती रहेगी!

Updated : 2 Aug 2022 9:01 AM IST
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