Mahatma Gandhi को रोज मार रहे है, लेकिन गांधी मरते नहीं ? | Manoj Kumar Jha
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"गांधी को गोली से मारा गया था, लेकिन उनके विचारों को कौन मार पाया है?"
यही सवाल उठाते हैं प्रसिद्ध समाजशास्त्री और राज्यसभा सांसद मनोज झा। उन्होंने Max Maharashtra Hindi चैनल पर एक भावनात्मक और विचारोत्तेजक बातचीत में बताया कि गांधी सिर्फ एक व्यक्ति नहीं थे, बल्कि विचार, नैतिकता और सत्याग्रह की जीवित मिसाल हैं। उनके अनुसार, आजादी के इतने वर्षों बाद भी गांधी का हर दिन "हत्या" हो रही है—कभी झूठ बोलकर, कभी नफ़रत फैलाकर और कभी हिंसा को सही ठहराकर। लेकिन फिर भी गांधी मरे नहीं।
गांधी की हत्या: केवल एक दिन की बात नहीं
मनोज झा कहते हैं कि गांधी जी की शारीरिक हत्या 30 जनवरी 1948 को हुई थी। लेकिन उनकी वैचारिक हत्या की कोशिश हर दिन हो रही है। जब भी हम सत्य की जगह झूठ को अपनाते हैं, अहिंसा की जगह हिंसा को बढ़ावा देते हैं, जब सत्याग्रह की जगह दमन और अन्याय को जायज़ ठहराते हैं, तब-तब हम गांधी को मारते हैं।
गांधी मरे नहीं, क्योंकि...
गांधी आज भी जीवित हैं—किसान की आंखों में, जो अपने हक़ के लिए शांतिपूर्ण तरीके से लड़ रहा है। वो लड़की जब हाथ में संविधान लेकर अपने हक़ की बात करती है, तब गांधी जीवित होते हैं। मनोज झा कहते हैं कि जब भी कोई अन्याय के खिलाफ बिना हथियार के खड़ा होता है, तब गांधी वहीं खड़े मिलते हैं।
मनोज झा का संदेश:
"जो लोग गांधी से डरते हैं, वे उनकी मूर्ति का माल्यार्पण करते हैं। लेकिन असल में उनके विचारों से भागते हैं।"
वे कहते हैं कि गांधी को पढ़िए, समझिए। अगर आप उन्हें सिर्फ एक प्रतीक बनाकर रख देंगे, तो उनकी हत्या का हिस्सा बन जाएंगे। गांधी वो हैं, जो नफ़रत के बाजार में भी प्रेम की बात करते हैं। वे आपको अहिंसा के रास्ते पर चलना सिखाते हैं, चाहे राह कितनी भी कठिन क्यों न हो।