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भारत-अमेरिका व्यापार और द्विपक्षीय संबंध: दोनों जीते या रणनीतिक चाल?

भारत-अमेरिका व्यापार और द्विपक्षीय संबंध: दोनों जीते या रणनीतिक चाल?
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भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक और रणनीतिक संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं। दोनों देश अर्थव्यवस्था, रक्षा, तकनीक और ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ा रहे हैं। अमेरिका जहां अपने व्यापार घाटे को कम करने और भारतीय बाजार में अपनी पहुंच बनाने की कोशिश कर रहा है, वहीं भारत तकनीकी विकास, ऊर्जा सुरक्षा और रक्षा आधुनिकीकरण पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। सवाल यह है कि क्या यह साझेदारी दोनों देशों के लिए समान रूप से लाभकारी है, या यह सिर्फ एक रणनीतिक चाल है?

भारत-अमेरिका व्यापार समझौते

1. व्यापार और निवेश का विस्तार

• भारत-अमेरिका व्यापार 2023 में $191 बिलियन से अधिक पहुंच गया।

• भारत ने अमेरिकी ऊर्जा और रक्षा उपकरणों के आयात को बढ़ाया, जिससे अमेरिका को अपने निर्यात में वृद्धि का लाभ मिला।

• अमेरिका ने भारत को कृषि, फार्मास्युटिकल्स और डिजिटल सेवाओं में अधिक बाजार पहुंच देने का दबाव बनाया।

2. टैरिफ और व्यापार बाधाएँ

• भारत ने कुछ अमेरिकी उत्पादों पर आयात शुल्क कम किया, लेकिन अपने घरेलू उद्योगों की सुरक्षा बनाए रखी।

• अमेरिका चाहता है कि भारत और अधिक खुलेपन के साथ अपने बाजारों तक अमेरिकी कंपनियों की पहुंच सुनिश्चित करे।

3. रक्षा और सुरक्षा सहयोग

• भारत ने अमेरिका से लड़ाकू विमान, मिसाइल सिस्टम और उन्नत सैन्य उपकरण खरीदे, जिससे उसकी सुरक्षा क्षमता मजबूत हुई।

• हालांकि, इससे भारत की अमेरिकी रक्षा आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता बढ़ने की संभावना भी बनी हुई है।

कौन ज्यादा लाभ में है?

✔ भारत को आधुनिक तकनीक, ऊर्जा सुरक्षा और रक्षा क्षमताओं में बढ़त मिल रही है।

✔ अमेरिका को व्यापार घाटे में कमी, नए बाजार और रणनीतिक प्रभाव का लाभ मिल रहा है।

❌ भारत को अपने घरेलू उद्योगों को अमेरिकी प्रतिस्पर्धा से बचाना होगा।

❌ अमेरिकी कंपनियों को भारत में नियामकीय (Regulatory) चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

हालांकि दोनों देश इस साझेदारी को “जीत-जीत” सौदा कह रहे हैं, सच्चाई यह है कि हर देश अपने अधिकतम फायदे की रणनीति अपना रहा है। भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि यह सहयोग उसके दीर्घकालिक राष्ट्रीय हितों और आत्मनिर्भरता से समझौता किए बिना आगे बढ़े।

Updated : 15 Feb 2025 3:50 PM IST
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