5जी और 'हांजी हांजी'!
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार पर भी तंज कसा है। सामना में प्रधानमंत्री के 5 उद्घाटन को लेकर सरकार की जी हुजूरी को लेकर लिखा है। राज्य में लोगों की दुर्दशा और महिलाओं की प्रसूति के दौरान और शिशुओं की मौत को सामने रखते हुए 5 लांच को हांजी हांजी की गति को बताया है। सामना की पूरी संपादकीय पढे....
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देश में '5जी' सेवा प्रधानमंत्री मोदी के हाथों तीन दिन पहले शुरू की गई। देश के संचार क्षेत्र में यह क्रांतिकारी साबित होनेवाली सेवा है। करोड़ों देशवासी इस तेज नेटवर्क का इंतजार कर रहे थे। डिजिटल इंडिया का सपना राजीव गांधी के दौर में देखा गया था। अटल बिहारी के कार्यकाल में तत्कालीन दूरसंचार मंत्री प्रमोद महाजन ने इसे गति दी और अब मोदी युग में '५जी' सेवा रॉकेट की गति से आगे बढ़ती नजर आ रही है। दिल्ली के प्रगति मैदान में प्रधानमंत्री ने '५जी' सिस्टम का इस्तेमाल करके विदेश में गाड़ी चलाई। '5जी' एक स्वदेशी प्रणाली है। इस नई स्वदेशी प्रणाली के कारण एक नए युग की सुबह हुई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 130 करोड़ भारतीयों को '५जी' के रूप में एक खूबसूरत तोहफा मिला है। पहले हमें 2जी, 3जी और 4जी सिस्टम के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहना पड़ता था।
वर्तमान में महाराष्ट्र के दो शहरों मुंबई और पुणे में '5जी' सेवा उपलब्ध होगी। इस दौरान मजे की बात यह है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और मिंधे गुट के मुख्य नेता ने पनवेल के स्कूल में विशेष रूप से उपस्थित रहकर '5जी' के शुभारंभ कार्यक्रम में हिस्सा लिया। पनवेल के स्कूल में मुख्यमंत्री विद्यार्थी बन गए। वे विद्यार्थियों के साथ बेंच पर बैठ गए। बताया जाता है कि उन्होंने विद्यार्थियों को '5जी' का महत्व समझाया। '५जी' के कारण इंटरनेट को मिलनेवाली गति का लाभ पढ़ाई के लिए उठाओ, गेम और फिल्म डाउनलोड करने के लिए नहीं, ऐसा मार्गदर्शन मुख्यमंत्री ने किया और ये उचित भी है। '5जी' के कारण इंटरनेट और डिजिटल लेन-देन की गति बढ़ेगी। कॉल ड्रॉप पर रोक लगेगी। वीडियो, फिल्म तुरंत डाउनलोड होंगे, ऐसे कई फायदे बताए गए। वर्तमान में बुलेट ट्रेन रफ्तार के युग में जरूरी है। उसका मुख्य फायदा ऐसा है कि '5जी' के कारण देश में रोजगार के अवसर बढ़नेवाले हैं।
देश में असली समस्या महंगाई और रोजगार की ही है। डिजिटल भारत का अगला कदम बेरोजगारी की छाती पर पड़े तो आनंद ही है। मोदी गति के दिवाने हैं। वे देश को गतिशील बनाना चाहते हैं। उन्होंने जापान की मदद से मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन शुरू करने का पैâसला किया और आस-पास के क्षेत्रों की जमीन इस परियोजना के लिए अधिग्रहित की। यानी इस विकास में किसानों और जमीन मालिकों का भी योगदान है, इसे ध्यान में रखना चाहिए। देश में शुरू हुई '५जी' सेवा विकास को बल देने वाली है। लेकिन पिछले पांच-छह वर्षों में देश की राजनीति में 'हांजी हांजी'करण '5जी' की गति से पहले ही शुरू हुआ और वह प्रधानमंत्री मोदी की छवि के लिए हानिकारक है। परिवारवाद, वंशवाद की राजनीति में 'हांजी हांजी' चलता है लेकिन लोकतंत्र में '5जी' पर 'हांजी' हावी न हो, इतनी ही उम्मीद की जाती है। मोदी ने देश में '5जी' युग की शुरुआत की लेकिन देश के कई क्षेत्रों में आज अस्पताल नहीं हैं। शिक्षा की कमी है। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री के ठाणे जिले में आदिवासियों को 'झोली' और 'डोली' के सहारे स्वास्थ्य केंद्रों पर पहुंचना पड़ता है। गर्भवती महिलाओं की कई बार उसी झोली में प्रसूति हो जाती है और शिशु की मृत्यु हो जाती है।
'५जी' के युग में यह तस्वीर वेदनादायक है। गरीबों को मुफ्त अनाज दिया जाता है। लेकिन यह आत्मनिर्भर भारत की तस्वीर नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी के सपने ऊंचे हैं और उन्हें जन कल्याणकारी पद्धति से शासन करना है। कल्याणकारी राज का मार्मिक वर्णन डॉ. कॉलिन क्लार्क ने किया है। वे कहते हैं, 'किसी त्योहार के दिन लोगों पर उपहारों की बौछार करना और फिर कुछ दिनों बाद उस उपहार की कुल कीमत अपने मोटे कमीशन के साथ संबंधितों से वसूल करना, यह कल्याणकारी राज का स्वरूप होता है।' अपने देश में यही दृश्य दिखाई दे रहा है। चार दिनों पहले मुंबई के समाचार पत्रों में एक खबर आई। मुंबई के एक होटल में 'मॉडल' युवती ने आत्महत्या कर ली। सुसाइड नोट में इस युवती ने लिखा, 'पिछले कुछ दिनों से शांति से नींद नहीं आने के कारण मैं आत्महत्या कर रही हूं!' देश में ऐसी आत्महत्याएं अब रोजाना हो रही हैं। '5जी' के कारण ऐसे निराश लोगों के मन स्थिर हों और उन्हें शांति से नींद आए।
देश के अर्थ चक्र को गति मिले बिना यह संभव नहीं है। सच्चाई यह है कि अगस्त महीने से देश के 'आयात' में वृद्धि और 'निर्यात' में कमी होने की वजह से राजस्व घाटा बढ़ गया है। देश का राजस्व घाटा रिकॉर्ड 125.2 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है। पिछले वर्ष अप्रैल से अगस्त महीने की अवधि में राजस्व घाटा 53.8 अरब अमेरिकी डॉलर था। राजस्व घाटा इसी तरह जारी रहा तो चालू वित्त वर्ष के आखिर तक यह घाटा २५० अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगा। इस समय भी हमारा रुपया डॉलर के मुकाबले 82 रुपए तक लुढ़क गया है। '5जी' डिजिटल क्रांति की सुबह होने के दौरान ही यह तस्वीर क्या दर्शाती है? देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होने का ढोल पीटनेवाली मोदी सरकार की अर्थ नीति बिगड़ गई है। मार्च 2022 के आखिर तक देश के सिर पर चढ़ा विदेशी कर्ज लगभग 620 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। देश की वित्त मंत्री को इस पर कुछ बोलना चाहिए। लेकिन वे नहीं बोलेंगी। कम से कम खुद को अर्थशास्त्री कहलवाने वाले तो सच्चाई सामने लाएं। श्रीलंका, ग्रीस, मालदीव जैसे छोटे देश विदेशी कर्ज और अंतरराष्ट्रीय साहूकारी के जाल में फंसे हुए हैं।
हिंदुस्थान बड़ा देश है। लेकिन कर्ज बढ़ा तो उसका झटका आम जनता को लगेगा। राजनीतिज्ञों और उद्योगपतियों का क्या जाता है? देश का माहौल बिगड़ गया है। उद्योग-व्यापार करने के लिए माहौल ठीक नहीं है। ये अच्छी बात है कि हमारे देश में '5जी' आ गया है। लेकिन '5जी' की बजाय देश की राजनीति में 'हांजी हांजी' नेटवर्क गतिवान होने का दुष्परिणाम हमारा देश भुगत रहा है। हम '५जी' का स्वागत करते हैं। इंटरनेट की गति बढ़ाकर 'हांजी हांजी' की रफ्तार कम की जाए तो 2029 तक देश विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था निश्चित बनेगा। '5जी' के पंख इस स्वप्न को बल देंगे।