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50 साल कांग्रेस में सेवा देने गुलाम नबी आजाद क्या पार्टी का त्याग करने के बाद क्या पूरी तरह से हुए आजाद?

पार्टी से त्याग देने वाले वाले आजाद पहले नेता नहीं है जिन्होंने राहुल गांधी पर पहली उंगली दिखाई हो, इसके पहले कैप्टन ने भी तानी थी दो नाली लेकिन फायर नहीं किया। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की बात कर रहे है हम, जिनको नीचा करने के लिए नवजोत सिंह सिद्धू को सामने लाया गया। कैप्टन के कुर्सी से हटाकर चरणजीत सिंह चन्नी को बैठाया गया। पंजाब में कांग्रेस का क्या हुआ सब जानते है हाल लेकिन कैप्टन ने कांग्रेस की ओर पलट कर भी नहीं देखा.... नाम तो खबरों में कई के जोडे जा सकते बहुत है लेकिन वास्तविक खबर यही है

50 साल कांग्रेस में सेवा देने गुलाम नबी आजाद क्या पार्टी का त्याग करने के बाद क्या पूरी तरह से हुए आजाद?
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नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता समेत सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। सोनिया गांधी को पांच पन्नों का इस्तीफा भेजने वाले गुलाम नबी आजाद के बारे में कहा जाता है कि वे काफी समय से पार्टी से खफा थे. इस त्याग पत्र में उन्होंने अपना दुख व्यक्त करते हुए लिखा है कि यह बड़े खेद और भावना के साथ है कि मैंने आधी सदी के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ अपना संबंध समाप्त करने का निर्णय लिया है। कही ना कही पार्टी में जिन निर्णयों को एक सिरे से खारिज किया गया राहुल गांधी ने उसको जानकार सारे फैसले को खारिज करके अपनी मुहर लगाई है। आज कई दिग्गज नेता पार्टी में प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी के सम्मान के चलते टीके है पार्टी के साथ।



कांग्रेस हार गई दो लोकसभा, 39 विधानसभा चुनाव

गुलाम नबी आजाद ने यह भी कहा कि भारत जोड़ो की जगह कांग्रेस जोड़ी यात्रा निकालने की जरूरत है। उन्होंने अपने त्याग पत्र में राहुल गांधी पर जमकर हमला बोला है. सोनिया को संबोधित करते हुए उन्होंने आगे लिखा कि "दुर्भाग्य से, जब से आपने राहुल गांधी को जनवरी 2013 में पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया, उन्होंने पार्टी की सलाहकार प्रणाली को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है। राहुल के आने के बाद वरिष्ठ और दिग्गज नेता हाशिए पर चले गए थे। अनुभवहीन लोग अपना नया समूह बना रहे हैं और वे पार्टी चला रहे हैं। 2019 में उत्तर प्रदेश में कई दिग्गज नेताओं के पर काटकर राहुल ने अपनी सियासत पार्टी में चलाई जिससे कांग्रेस की पारंपरिक सीट अमेठी जिस पर 65 साल कांग्रेस का प्रतिनिधित्व था उसको गवाना पड़ा। राहुल गांधी से निर्णयों से क्या परेशान थे गुलाम नबी आजाद इस पर भी ज्यादा कुछ उन्होंने नहीं कहा कि लेकिन उनके निर्णय पर सवाल उठाया है वही राहुल गांधी ने भी अब तक इस पर कोई पलट जवाब नहीं दिया है।


आजाद ने अपने इस्तीफे में सोनिया और राहुल गांधी को लेकर कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया है। उन्होंने लिखा, कांग्रेस आपके नेतृत्व में और फिर राहुल गांधी के नेतृत्व में 2014 से अपमानजनक तरीके से दो लोकसभा चुनाव हार चुकी है। 2014 और 2022 के बीच, पार्टी 49 में से 39 विधानसभा चुनावों में हार गई। पार्टी केवल चार राज्यों में चुनाव जीतने में सफल रही और छह राज्यों में गठबंधन सरकारें बनाईं। दुर्भाग्य से आज केवल दो राज्यों में कांग्रेस की सरकार है और दो अन्य राज्य वरिष्ठ सहयोगी के रूप में गठबंधन सरकार का हिस्सा हैं। पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं की राय पिछले ५ सालों से है पार्टी की बागडोर राहुल गांधी को दे दी जाए लेकिन लेकिन गुलाम नबी आजादा ने इसका हमेशा विरोध किया।





मीडिया के खिलाफ एक सरकारी अध्यादेश को राहुल गांधी द्वारा 2013 में सार्वजनिक किए जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए आजाद ने कहा कि यह बचकाना और अपरिपक्व घटना है। उन्होंने 2014 की लोकसभा हार के लिए राहुल गांधी को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि देश में कहीं भी संगठन स्तर की चुनाव प्रक्रिया नहीं है. एक पूरी तरह से संस्थागत चुनाव प्रक्रिया सिर्फ एक दिखावा है। एक के बाद एक राज्य में कांग्रेस की हार के बाद उनके आवास पर असंतुष्ट सदस्यों के जी-23 समूह की बैठक भी हुई। उसके बाद पार्टी में नेतृत्व को लेकर बगावत के कयास भी तेज हो गए। गुलाम नबी आजाद के ऐसा लग रहा था कि जिस पार्टी के लिए उन्होंने अपने जीवन के 50 साल दिए उस पार्टी ने उन्हें क्या दिया तो पार्टी कहना है पार्टी ने उन्हें क्या नहीं दिया।




राहुल ने पार्टी पर प्राण न्यौछावर करने वाले वरिष्ठ नेताओं का अपमान किया

गुलाम नबी आजाद ने अपने त्याग पत्र में लिखा है कि 2019 के चुनाव के बाद कांग्रेस की हालत खराब हो गई है. राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन इससे पहले उन्होंने पार्टी के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले सभी वरिष्ठ पदाधिकारियों का अपमान किया। आजाद ने गांधी परिवार पर रिमोट कंट्रोल मॉडल से संगठन चलाने का आरोप लगाया। यूपीए सरकार के दौरान रिमोट कंट्रोल मॉडल अब पार्टी संगठन पर भी लागू हो गया है। आप सिर्फ नाम के अध्यक्ष हैं जबकि सारे अहम फैसले राहुल गांधी या उनके सुरक्षा गार्ड और पीए ले रहे हैं। आजाद ने आरोप लगाया कि 2020 में जी-23 नेताओं और 2022 में जब उन्होंने पार्टी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए पत्र लिखा तो चापलूसी करने वालों की फौज ने उन पर हर संभव तरीके से हमला किया और उन्हें अपमानित किया। गिरोह ने कपिल सिब्बल के घर पर हमला करने के लिए गुंडों को भी भेजा था।


गौरतलब है कि इस दिग्गज नेता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ भी की है। इससे पहले जब आजाद ने 2021 में राज्यसभा छोड़ा तो मोदी ने उनसे अपनी दोस्ती का भी जिक्र किया। राज्यसभा से निकलने के बाद आशंका जताई जा रही थी कि वह सियासी गलियारों में धूम मचा देंगे यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

Updated : 27 Aug 2022 8:39 AM IST
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