बिहार में ई बा, गायकों की बहार, सिने स्टारों की नो डिमांड
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अबकी बार के बिहार विधानसभा चुनाव ने आवाज-सुरों के गुमनाम बिहारी सितारों को उभरने का मौका दिया है। सभी दलों में एक तरह से गीतों से प्रचार की होड़ सी है। इस होड़ ने कई अनाम-गुमनाम गीत लेखकों व गायकों को स्टार के रूप में चमकने का मौका दे दिया है। नेहा राठौड़ के 'का बा' के जादू ने गीतों से प्रचार के लिए सियासी दलों को प्रेरित किया। सत्तापक्ष ने भी 'बिहार में का बा' के जवाब में कई गीत तैयार कराए। अब तरह-तरह के चुनावी गीतों की पैरोडी बिहार की विभिन्न भाषाओं में टोलों, मुहल्लों में गूंज रहे हैं।
'बिहार में का बा' से रातों-रात सुपर स्टार हुई नेहा के भोजपूरी गीत का जवाब मैथिली भाषा में चर्चित युवा गायिक मैथिली ठाकुर ने दिया- 'बिहार में, मिथिला में की नई अछि।' जदयू ने अपने सोशल प्लेटफार्म पर इस गीत को टैग कर दिया। फिर चर्चित लोकगायक सत्येन्द्र संगीत के गीत को मुख्यमंत्री ने लॉन्च किया-'तरक्की दिखती है'। भाजपा ने 'का बा' के जवाब में गीत उतारा-रुक, बताव तानी का बा। राजद के गीत के बोल हैं 'बिहार तेजस्वी भव:'। गीतों से चुनाव प्रचार के इस दौर ने वैसे गायकों को भी मंच दिया, जिनकी आवाज तो दमदार थी, लेकिन उन्हें मौका नहीं मिला था। ऐसे गायकों के गीत के सहारे मैदान में उतरे दल भी पूछे जाने पर उनके नाम नहीं बता पा रहे।
अपने गीत 'मोदी जी की लहर-लहर, आवे दूर-दूर से नजर-नजर' के साथ, भोजपुरी स्टार दिनेश लाल यादव निरहुआ जैसे नाम भी इस दौड़ में हैं। तीन दशक पहले राजनीति में फिल्म अभिनेताओं की मांग बिहार समेत देश भर में अचानक से बढ़ी थी,पर कोरोना काल के चुनाव में उपजे गीतों के नए स्टारों की चमक के आगे सिने स्टारों की चमक फीकी कर दी है। अब तक न कहीं से किसी की मांग है और न ही किसी का कार्यक्रम लगा है। अलबत्ता गायकों की जरूर बहार है। हर तरफ बिहार में का बा, और ई बा की धून सुनाई दे रही है।