कैंसर मुक्त भारत : जागरूकता, रोकथाम के लिए आगे बढें – विश्व कैंसर दिवस पर संदेश
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विश्व कैंसर दिवस की पूर्व संध्या पर, प्रमुख ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. अनिल डी'क्रूज़ ने भारत में तेजी से बढ़ते कैंसर मामलों को लेकर गंभीर चेतावनी दी। उन्होंने जोर देकर कहा कि रोकथाम और प्रारंभिक पहचान ही इस घातक बीमारी के खिलाफ सबसे प्रभावी हथियार हैं। मुंबई में आयोजित एक उच्च स्तरीय संगोष्ठी में बोलते हुए, डॉ. डी'क्रूज़ ने बताया कि भारत में प्रत्येक पांच पुरुषों में से एक और प्रत्येक आठ महिलाओं में से एक को कैंसर होने का खतरा है। उन्होंने इस बढ़ते खतरे के लिए बदलती जीवनशैली, पर्यावरणीय क्षरण और जागरूकता की कमी को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने यह भी कहा कि कैंसर लाखों लोगों की जान ले चुका है, लेकिन अगर लोग स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं, तंबाकू और शराब से दूर रहें, संतुलित आहार लें और नियमित स्वास्थ्य जांच कराएं, तो इस बीमारी से काफी हद तक बचा जा सकता है।
‘जागेगा भारत तो बचेगा भारत’ अभियान का संकल्प
अंबागोपाल फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस संगोष्ठी में प्रतिष्ठित चिकित्सा विशेषज्ञों, पर्यावरणविदों, नीति-निर्माताओं और 2,000 से अधिक छात्रों ने भाग लिया। समाजसेवी डॉ. हरीश शेट्टी के नेतृत्व में चल रहे ‘जागेगा भारत तो बचेगा भारत’ अभियान के तहत इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्य मंत्री रामदास अठावले ने इस संगोष्ठी का उद्घाटन किया। अपने खास काव्यात्मक अंदाज में मंत्री अठावले ने लोगों को स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता बढ़ाने और रोकथाम के उपायों को अपनाने की जरूरत पर बल दिया।
तंबाकू और शराब – कैंसर का सबसे बड़ा खतरा
डॉ. डी'क्रूज़ ने बताया कि भारत में लगभग 40% कैंसर के मामले तंबाकू के सेवन से होते हैं। उन्होंने तंबाकू पर सख्त प्रतिबंध लगाने और लोगों से तुरंत धूम्रपान व तंबाकू चबाने की आदत छोड़ने का आग्रह किया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि शराब भी एक बड़ा कैंसर कारक है और यह गलत धारणा है कि सीमित मात्रा में इसका सेवन सुरक्षित है।
इसके अलावा, उन्होंने संक्रमण से जुड़े कैंसरों पर भी चर्चा की, जैसे कि ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) से होने वाला गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर। उन्होंने HPV के खिलाफ टीकाकरण और नियमित जांच के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने यह भी बताया कि मोटापा कैंसर के खतरे को बढ़ाता है, इसलिए स्वस्थ वजन बनाए रखना जरूरी है। विटामिन A, C और E से भरपूर और फाइबरयुक्त फलों व सब्जियों का सेवन कैंसर के जोखिम को कम कर सकता है।
पारंपरिक आहार और प्राकृतिक खेती का महत्व
पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित और शून्य-बजट प्राकृतिक खेती के समर्थक डॉ. सुभाष पालेकर ने आहार और कैंसर के बीच के संबंध को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि प्रसंस्कृत और रसायनयुक्त खाद्य पदार्थों पर बढ़ती निर्भरता और पश्चिमी आहार का प्रभाव, हमारे भोजन में अम्लीय तत्वों की वृद्धि कर रहा है, जिससे कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। उन्होंने बाजरा, दालें और ताजी सब्जियों पर आधारित पारंपरिक भारतीय आहार अपनाने की सलाह दी।
डॉ. पालेकर ने यह भी बताया कि कृषि में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का बढ़ता उपयोग स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है। उन्होंने किसानों से जैविक और विषमुक्त खाद्य उत्पादन पर जोर देने का आग्रह किया।
प्राकृतिक जीवनशैली से कैंसर पर विजय
दिल्ली के वरिष्ठ दंपति पीटर सिंह और नीनो कौर ने साझा किया कि कैसे उन्होंने प्राकृतिक जीवनशैली अपनाकर ल्यूकेमिया को मात दी। नीनो कौर के रक्त कैंसर से पीड़ित होने के बाद, इस जोड़े ने अपने घर के आसपास 12,000 से अधिक पौधे लगाकर एक छोटा जंगल बना लिया। उन्होंने 'अक्वाटोनिक्स' नामक तकनीक के जरिए बिना मिट्टी के सब्जियां उगानी शुरू की और प्राकृतिक खाद का उपयोग किया। उनकी पर्यावरण-अनुकूल जीवनशैली ने हजारों लोगों को प्रेरित किया है, जिससे यह साबित होता है कि प्रकृति में ही स्वास्थ्य की कुंजी है।
पर्यावरण संरक्षण और सार्वजनिक स्वास्थ्य
जल संरक्षण विशेषज्ञ और रेमन मैगसेसे पुरस्कार विजेता डॉ. राजेंद्र सिंह ने कैंसर के बढ़ते मामलों और पर्यावरणीय गिरावट के बीच सीधे संबंध को उजागर किया। उन्होंने बताया कि भारत की नदियां, जो कभी शुद्ध और जीवनदायिनी थीं, अब प्रदूषित हो चुकी हैं। खासतौर पर मुंबई जैसे शहरों में शहरीकरण और औद्योगिक कचरे के कारण जलस्रोत दूषित हो गए हैं, जिससे कैंसर सहित कई बीमारियां बढ़ रही हैं। उन्होंने पंचमहाभूतों—पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश—के संरक्षण को स्वास्थ्य की आधारशिला बताया।
'कैंसर मुक्त भारत' के लिए एक जन आंदोलन की आवश्यकता
‘जागेगा भारत तो बचेगा भारत’ अभियान का नेतृत्व कर रहे डॉ. हरीश शेट्टी ने कैंसर की रोकथाम के लिए एक व्यापक जन आंदोलन की जरूरत बताई। उन्होंने 4 फरवरी को ‘विश्व कैंसर मुक्त दिवस’ के रूप में मनाने का प्रस्ताव रखा, ताकि कैंसर उपचार के बजाय रोकथाम पर अधिक ध्यान केंद्रित किया जा सके। उन्होंने कहा कि स्वच्छ हवा, शुद्ध पानी और प्रदूषण मुक्त मिट्टी, नागरिकों के मौलिक अधिकार हैं और पूरे देश को रसायन मुक्त कृषि की ओर बढ़ना चाहिए।
उन्होंने प्रत्येक भारतीय से आह्वान किया कि वे अपने स्वास्थ्य और आने वाली पीढ़ियों की भलाई के लिए जागरूक निर्णय लें और अपने जीवनशैली, आहार और पर्यावरण को सुधारने के लिए व्यक्तिगत जिम्मेदारी निभाएं।