Home > ब्लॉग > महाराष्ट्र-बिहार के बाद क्या UP में बसपा-AIMIM में पक रही है सियासी खिचड़ी?

महाराष्ट्र-बिहार के बाद क्या UP में बसपा-AIMIM में पक रही है सियासी खिचड़ी?

महाराष्ट्र-बिहार के बाद क्या UP में बसपा-AIMIM में पक रही है सियासी खिचड़ी?
X

महाराष्ट्र और बिहार में फार्मूला सफल होने के बाद अब उत्तर प्रदेश में होने वाले 2022 के चुनाव के सियासी रण में दलित-मुस्लिम कार्ड खेलने का दांव लगाने की जुगत में है. एआईएमआईएम ने आगामी चुनाव को देखते हुए बसपा के सामने दोस्ती का हाथ बढ़ाया है. मायावती अगर ओवैसी के साथ मिलकर चुनाव लड़ती हैं तो सूबे में राजनीतिक दलों के समीकरण गड़बड़ा सकते हैं। बिहार की जीत से उत्साहित ओवैसी ने यूपी में पार्टी के राजनीतिक आधार को बढ़ाने की कवायद शुरू कर दी है.

एक महीने में करीब 20 जिले में नए जिला अध्यक्ष बनाए गए हैं. पार्टी के साथ नए सदस्यों को जोड़ने का अभियान भी तेज कर दिया है. AIMIM यूपी अध्यक्ष शौकत अली के मुताबिक यूपी में ओवैसी-मायावती मिलकर ही सांप्रदायिक शक्तियों को सत्ता में आने से रोक सकते हैं. सपा-बसपा और कांग्रेस कोई भी अकेले भाजपा को नहीं रोक सकते है.यूपी में दलित और मुस्लिम दोनों समुदाय की समस्या एक जैसी ही है और आबादी भी तकरीबन बराबर है. बिहार चुनाव में हम साथ थे। यूपी में तकरीबन 20 फीसदी दलित और 20 फीसदी मुस्लिम हैं. अगर यह समीकरण एक हो जाए तो हम बीजेपी को सत्ता में आने से रोक सकते हैं.

AIMIM शुरू से ही दलित मुस्लिम एकता पर काम करती रही है फिलहाल बसपा बिना किसी के सहारे के यूपी में सीटें ज्यादा नहीं जीत सकती अब पहले जैसी उसकी ताकत नहीं रही। हालांकि बसपा यूपी में नए जातीय समीकरण को बनाने में जुटी है. मुस्लिम वोटों पर बहुत ज्यादा फोकस करने के बजाय अति पिछड़ा वोटर को टारगेट कर रही है. जिस तरह से मुस्लिम विधायकों ने पार्टी से बगावत की है, उसके बाद मायावती ने मुस्लिम को साधने के लिए अलग रणनीति बनाई है. इसी रणनीति के तहत ओवैसी के साथ गठबंधन करने का फॉर्मूला है. इस तरह दलित-मुस्लिम का मजबूत सियासी कार्ड खेलकर बसपा यूपी में विरोधियों को चुनौती देने की हर जुगत लगाने में जुटी है।

Updated : 13 Dec 2020 10:45 AM IST
Tags:    
Next Story
Share it
Top