वड़ा पाव सिर्फ भोजन नहीं है, यह एक भावना है जो हर महाराष्ट्रियन के दिल में रहती है

वड़ा पाव को बुलाते हुए, "न केवल भोजन, बल्कि एक भावना जो हर महाराष्ट्रियन के दिल में रहती है," महाराष्ट्र पर्यटन के आधिकारिक ट्विटर हैंडल ने नाश्ते की एक आकर्षक तस्वीर प्रदर्शित की और लोगों से अपने पसंदीदा वड़ा पाव स्थानों को साझा करने के लिए कहा। उन्होंने यह भी ट्वीट किया: 'अगर आप वड़ा पाव खाना पसंद करते हैं, तो आज का दिन इस स्वादिष्ट नाश्ते का आनंद लेकर जश्न मनाने का है। हैप्पी वर्ल्ड वड़ा पाव डे। आज शिव भोजन थाली बंद होने के बाद लोगों का मुख्य आधार बिंदु वडा पाव ही है...मैक्स महाराष्ट्र संवाददाता प्रसन्नजीत जाधव की यह खास रिपोर्ट देखिए कैसे लोग बड़े चाव से खाते है वडा पाव

Update: 2022-08-25 08:10 GMT

मुंबई: यह 23 अगस्त को विश्व वड़ा पाव दिवस था, एक ऐसा समय जब खाने वालों और प्रशंसकों ने इस बहुचर्चित स्ट्रीट फूड को स्वीकार किया। कुरकुरे तले हुए आलू वड़ा को नरम पाव में मिर्च पाउडर, तली हुई मिर्च और कभी-कभी चटनी के साथ परोसा जाता है, यह कभी भी कहीं भी उपलब्ध है। 23 अगस्त को सभी ने वडा पाव का जन्मदिन मनाया कई नामी ब्रांड से वडा पाव बेचने वाले ने अपने वडा पाव को सोशल मीडिया हैंडल पर भी शेयर किया। मुंबई से शुरू हुआ वडा पाव का बेचने सफर देशभर में पैल गयै है इसको विदेशी कंपनियों ने अपने ब्रांड के नाम से बेचना शुरू कर दिया है। महाराष्ट्र टूरिज्म ने भी वडा पाव जन्म दिन ट्वीट करके लिखा कि वड़ा पाव सिर्फ भोजन नहीं है, यह एक भावना है जो हर महाराष्ट्रियन के दिल में रहती है। हमें कमेंट में बताएं कि आपके शीर्ष 5 वड़ा पाव स्थान।


"वड़ा पाव" हमारे लिए बहुत मायने रखता है'

शहर के डब्बावाले वड़ा पाव के लिए अपने तरीके से अपने प्यार को साझा करने में शामिल हुए। उन्होंने यही किया। मुंबई डब्बावाला एसोसिएशन के अध्यक्ष सुभाष तळेकर कहते हैं, ''मुंबई के डब्बावालों की इतनी अधिक आय नहीं है. जब वे काम करते हैं, तो वे आमतौर पर चपाती-भाजी ले जाते हैं और कभी-कभी वे अपने साथ भी नहीं ला पाते हैं। उस समय पानी के साथ दो वड़ा पाव और वह उनका भोजन बन जाता है। और कभी-कभी जब भाजी नहीं होती, सिर्फ चपाती होती है, वे वड़ा और चपाती खाते हैं। इसलिए वड़ा पाव हमारे लिए बहुत मायने रखता है। और कल वड़ा पाव दिन पर, हम सब डब्बावाला ने तय किया की हम सब वड़ा पाव खायेंगे अलग अलग जगह पे।" जो चीज इस स्नैक को लोकप्रिय बनाती है, वह सिर्फ इसका स्वाद नहीं है, बल्कि यह भी है कि यह किसी की भी जेब में फिट बैठता है। तालेकर कहते हैं, ''मैं वड़ा पाव खाने के लिए हमेशा कालाचौकी श्रावण यशवंत चौक पर जाता हूँ वहां पर दगडू कदम ३६ सालों से वडा पाव बेच रहे है। यह आपको  स्टॉल पर मात्र ₹10 में मिल जाता है। कालाचौकी मिल मजदूरों का इलाका था तब कम कीमत में वडा पाव मिलता था जिससे मील मजदूरों की भी भूख इसी से मिट जाती थी। जिसका स्वाद भी स्वादिष्ट है। वड़ा पाव हमारा स्पेशल खाना है।"



मुंबई के जैसा वड़ा पाव कहीं नहीं

मुंबई में वड़ा पाव बेचने वाले अनगिनत स्टॉल हैं, लेकिन ऐसा कहा जाता है कि सबसे पहले 1966 में दादर स्टेशन पर अशोक वैद्य थे। आज, आपके पास वड़ा पाव पनीर के शौकीन से लेकर वड़ा पाव स्लाइड तक, रचनात्मक स्वाद और तैयारी भी है। मकई, छोले और पनीर और यहां तक कि एक 'उल्टा वड़ा पाव' के साथ, लेकिन क्लासिक एक गर्म पसंदीदा बना हुआ है। मंबईकर कहते हैं, "वड़ा का स्वाद थोड़ा तीखा है, तो पाव के साथ बहुत मजा आता है। उसके साथ एक कटिंग चाय पियोगे, तो दिन भर भूख नहीं लगेगी। इसमें आज बहुत फ्लेवर भी लेकिन असली मुंबई वड़ा पाव का स्वाद सब से अलग ही है। लोगों से हमने वडा पाव को लेकर बातचीत की तो लोगों कहना था कि बुत से राज्यों में उन्होंने वडा पाव खाया, लेकिन हमें मुंबई जैसा स्वाद नहीं मिला।

23 अगस्त विश्व वडापाव दिवस मनाया जाता है

मुंबई का खास वडापाव देश भर में प्रसिद्ध है। हां, यह सही है कि अब आप लॉर्ड ऑफ द रिंग्स के रूप में जाने जा सकते हैं। कई मुंबईकरों के लिए, नाश्ता, दोपहर का भोजन, रात का खाना जैसी हर चीज वडापाव है। वडापाव को दुनिया भर में बॉम्बे बर्गर के नाम से भी जाना जाता है। आज वडापाव पूरी दुनिया में पहुंच चुका है। लेकिन ये भी सच है कि मुंबई की तरह वडापाव की अहमियत कोई और नहीं समझेगा। लेकिन यहां वडापाव का जन्म हुआ था। आज के मैकडॉनल्ड्स से शेजवान वडा पाव, स्वीट कॉर्न वडापाव तक यह फैल गया।



 


वडा पाव का धंधा कभी कम नहीं हुआ

पुराने मुंबईकरों का कहना है कि इस दौरान दादर में सुधाकर म्हात्रे का वडापाव भी शुरू हुआ। आलू की सब्जी और पोली खाने की बजाय आलू वेज बॉल्स को बेसन में तल कर तेल में तल कर आलू की सब्जी बनाने लगे. 'दुनिया में भारी'.. देखें कि आपको मुंबई में 10 हॉट और लोकप्रिय वडापाव कहां मिल सकते हैं। वडापाव ने शुरू किया, उस समय यह 10 पैसे में बिका था। आज आपको वडा पाव 5 रुपये से लेकर 80 रुपये से लेकर 100 रुपये तक के मॉल में मिल सकते हैं। आज, अठारह घंटे से अधिक समय तक चलने वाला वडापाव शुरू में केवल छह से सात घंटे के लिए उपलब्ध था। 




 


दादर, परेल, गिरगाव, बटाटा बड़ा में मराठी रेस्तरां की संख्या में वृद्धि के बाद वहां अपना असली घर मिला। लेकिन शुरुआती सालों में सिर्फ (वडा) आलू ही खाया जाता था। इसके बाद वडा के साथ पाव कब जुडा इसको लेकर भी मतभेद हैं। कितने लोगों ने कई नामों से वडापाव को बेचना शुरू किया लेकिन वडापाव का धंधा कही भी कम नहीं हुआ इसको खाने वालों की संख्या में कोई कमी नहीं हुई है।



 


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