घरेलू आवश्यकता की पूर्ति करने के लिए देश में खाद्यान्न का पर्याप्त भंडार उपलब्ध: केन्द्र

Update: 2022-10-02 14:38 GMT

स्पेशल डेस्क, मैक्स महाराष्ट्र, नई दिल्ली: गेहूं और चावल की खुदरा और थोक कीमतों में कमी दर्ज की गई और पिछले सप्ताह के दौरान गेहूं के आटे की कीमतें स्थिर रहीं। पिछले दो वर्षों में गेहूं और चावल की कीमतें प्रासंगिक वर्षों के दौरान एमएसपी वृद्धि के अनुरूप कमोबेश बढ़ी हैं। 2021-22 वर्ष के दौरान कीमतें तुलनात्मक रूप से कम थीं क्योंकि कीमतों को नियंत्रित करने के लिए ओएमएसएस के माध्यम से लगभग 80 एलएमटी खाद्यान्न को खुले बाजार में उतार दिया गया था।


भारत सरकार नियमित रूप से गेहूं और चावल सहित आवश्यक वस्तुओं की कीमत परिदृश्य की निगरानी कर रही है और जहां भी आवश्यक हो, सुधारात्मक उपाय कर रही है। अभूतपूर्व भू-राजनीतिक स्थिति के कारण, खरीदारी थोड़ी कम रही, इसलिए भारत सरकार ने अब तक ओएमएसएस के माध्यम से बाजार में हस्तक्षेप नहीं किया था। हालांकि, भारत सरकार कीमतों के परिदृश्य से अच्छी तरह अवगत है और साप्ताहिक आधार पर नियमित रूप से इसकी निगरानी कर रही है। सरकार ने मूल्य वृद्धि से बचने के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं और गेहूं के मामले में 13.05.2022 से और चावल के मामले में 08.05.2022 से निर्यात नियम लागू किए गए थे। इसके बाद गेहूं और चावल की कीमतों पर तत्काल नियंत्रण कर लिया गया।

 कीमतों को नियंत्रित करने और समाज के निर्बल वर्गों को किसी भी कठिनाई से बचने के लिए, भारत सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) को अक्टूबर 2022 से दिसम्बर 2022 तक और तीन महीने (चरण VII) के लिए बढ़ा दिया है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि देश के निर्धनों और जरूरतमंदों को आगामी त्योहारों के मौसम में किसी भी कठिनाई का सामना न करना पड़े और उन्हें बाजार की प्रतिकूल ताकतों से बचाया जा सके।

भारत सरकार ने सुनिश्चित किया है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए), अन्य कल्याणकारी योजनाओं और पीएमजीकेएवाई की अतिरिक्त आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए खाद्यान्न का पर्याप्त स्टॉक केन्द्रीय पूल में उपलब्ध रहे और कीमतें नियंत्रण में रहें।


घरेलू कीमतों घरेलू को नियंत्रण में रखने के लिए खाद्य तेल आयात पर रियायती सीमा शुल्क को मार्च 2023 तक बढ़ाया गया

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने अपनी एक अधिसूचना संख्या 46/2022-सीमा शुल्क दिनांक 31 अगस्त, 2022 के अनुसार निर्दिष्ट खाद्य तेलों पर मौजूदा रियायती आयात शुल्क को 31 मार्च, 2023 तक बढ़ा दिया है। इस निर्णय का उद्देश्य घरेलू आपूर्ति बढ़ाना और कीमतों को नियंत्रण में रखना है। अधिसूचना के मुताबिक खाद्य तेल आयात पर रियायती सीमा शुल्क को और 6 महीने के लिए बढ़ाया गया है, जिसके परिणामस्वरूप अब नई समय सीमा अब मार्च 2023 होगी। खाद्य तेल की कीमतें वैश्विक कीमतों में गिरावट के कारण कम होते स्तर पर रही हैं। कम होती वैश्विक दरों और आयात शुल्क में कमी के साथ, भारत में खाद्य तेलों की खुदरा कीमतों में काफी गिरावट आई है।

कच्चे पाम तेल, आरबीडी पामोलीन, आरबीडी पाम तेल, कच्चे सोयाबीन तेल, परिष्कृत सोयाबीन तेल, कच्चे सूरजमुखी तेल और परिष्कृत सूरजमुखी तेल पर वर्तमान शुल्क व्यवस्था में 31 मार्च, 2023 तक कोई बदलाव नहीं होगा। पाम तेल, सोयाबीन तेल और सूरजमुखी तेल की कच्ची किस्मों पर आयात शुल्क फिलहाल शून्य है। हालांकि, 5 प्रतिशत कृषि और 10 प्रतिशत सामाजिक कल्याण उपकर को ध्यान में रखते हुए, इन तीन खाद्य तेलों की कच्ची किस्मों पर प्रभावी शुल्क 5.5 प्रतिशत तक पहुँच जाता है। पामोलिन और रिफाइंड पाम तेल की परिष्कृत किस्मों पर मूल सीमा शुल्क 12.5 प्रतिशत है, जबकि सामाजिक कल्याण उपकर 10 प्रतिशत है। इसलिए, प्रभावी शुल्क 13.75 प्रतिशत है। परिष्कृत सोयाबीन और सूरजमुखी तेल के लिए, मूल सीमा शुल्क 17.5 प्रतिशत है और 10 प्रतिशत सामाजिक कल्याण उपकर को ध्यान में रखते हुए, प्रभावी शुल्क 19.25 प्रतिशत होता है।

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