भुवनेश्वर । टाइगर तो सभी ने देखे है लेकिन ब्लैक टाइगर शायद ही आप लोगों मे से किसी ने कभी ब्लैक टाइगर देखा होगा दरअसल ओडिशा में एक अत्यंत दुर्लभ प्रजाति का BlackTiger काला बाघ देखा गया है। ओडिशा के जंगलों मे इस दुर्लभ प्रजाति के बाघ की संख्या मात्र 7 से 8 है।
इस बाघ का औपचारिक नाम मैलेनिस्टिक टाइगर (Melanistic Tiger) है। बता दें कि इस बाघ पर ये काली धारियां अनुवांशिक दोष के कारण होती हैं। दुनिया की 70 प्रतिशत काली बाघ आबादी ओडिशा में है। BlackTiger अन्य बाघों की तुलना में ये आकार में छोटे होते हैं भारत में सबसे पहले 1990 में इस तरह के पहले बाघ को देखा गया था।
रंग काला होने के कारण यह है कि इसकी त्वचा में मैलोनिन नामक वर्णक (पिगमेंट) ज्यादा पाए जाते हैं। वन्य विशेषज्ञा का कहना है कि ब्लैक पैंथर से दूसरे रंग के तेंदुए भी डर जाते हैं।
ऐसे में इनका संख्या बढ़ना आसान नहीं होता। मादा ब्लैक पैंथर ही इनके साथ सहज होती है और संपर्क में आती है। अचानकमार टाइगर रिजर्व में सबसे पहले 2011-12 में काला तेंदुआ देखा गया था। 2018 में गणना के दौरान इलकी तस्वीरें कैमरे में कैद हुई थी । तेंदुए की औसत उम्र 12 से 17 वर्ष बतायी गई है। लेकिन अब हाल ही मे BlackTiger की तस्वीर जो कैमरे मे कैद हुई है इन तस्वीरों को देखने के लिए हर कोई उत्साहित नजर आ रहा है।