NIA की सचिन वाजे पर UAPA एक्ट लगाने की तैयारी!क्या है UAPA एक्ट,जिसमें गिरफ्तारी के नाम से ही कांपते हैं लोग

अग्रिम जमानत मिलना संभव नहीं

Update: 2021-03-24 11:14 GMT

मुंबई :  मुंबई की सत्र न्यायालय ने आज  एटीएस को आदेश दिया है कि मंसूख हिरेन की हत्या की जांच एनआईए को सौप  दी जाए साथ ही एटीएस के पास जो भी सबूत है वो सभी सबूत भी दे दिए जाए तो दूसरी और अदालत मे एनआईए ने ये कहा है कि वो  सचिन वाजे पर अब UAPA के तहत केस दर्ज करना चाहती है क्योंकि सचिन वाजे के पास जिस तरह से सबूत मिले है और जिस तरह से सचिन वाजे ने विस्फोटकों का इस्तेमाल किया है ये किसी आतंकवादी साजिश से काम नहीं और UAPA के तहत मामला दर्ज कर वाजे की जाँच कर इस केस के तह तक जाना चाहती है.कल मुंबई के हाईकोर्ट में भी मामले की सुनवाई है और कल २५ तारीख को वाजे की रिमांड पर सुनवाई होगी लेकिन आज सेशंस कोर्ट में एनआईए ने सचिन वाजे पर UAPA के तहत कारवाही करने की बात बता कर सबको चौका दिया है.

क्या है UAPA एक्ट और क्यों कांपते है आरोपी इससे 

किसी शख्स पर अगर  UAPA के तहत केस दर्ज हुआ है, तो उसे अग्रिम जमानत नहीं मिल सकती. यहां तक कि अगर पुलिस ने उसे छोड़ दिया हो तब भी उसे अग्रिम जमानत नहीं मिल सकती. दरअसल, कानून के सेक्शन 43D (5) के मुताबिक, कोर्ट शख्स को जमानत नहीं दे सकता, अगर उसके खिलाफ प्रथम दृष्टया केस बनता है.

गैरकानूनी संगठनों, आतंकवादी गैंग और संगठनों की सदस्यता को लेकर इसमें कड़ी सजा का प्रावधान है. सरकार द्वारा घोषित आतंकी संगठन का सदस्य पाए जाने पर आजीवन कारावास की सजा मिल सकती है. लेकिन कानून में 'सदस्यता' की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है. कई एक्टिविस्टों पर इस कानून के तहत केस दर्ज हो चुके है.  तै 

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