किसान आत्महत्या को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ मामला दर्ज किया जाना चाहिए: नाना पटोले

Update: 2022-08-22 13:49 GMT

मुंबई: विदर्भ और मराठवाड़ा समेत राज्य के कई हिस्सों में भारी बारिश से कृषि को भारी नुकसान हुआ है।ऐसे में राज्य में तुरंत बाढ़ प्रभावित घोषित करने की आवश्यकता है। यह मांग कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने की है।उन्होंने कहा कि शिंदे-फडणवीस सरकार किसान विरोधी है।आर्थिक संकट की वजह से कई किसान ने आत्महत्या कर ली है, लेकिन राज्य सरकार को इसकी कोई चिंता नहीं है। पटोले ने कहा कि जब भाजपा विपक्ष में थी तो किसानों की आत्महत्या को लेकर महाविकास आघाडी सरकार के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग कर रही थी।अब उसी तरह अब राज्य में शिंदे – फडणवीस सरकार के कार्यकाल में किसानों की आत्महत्या को लेकर उनके खिलाफ मामला दर्ज किया जाना चाहिए।


विधानमंडल परिसर में सोमवार को मीडिया से बात करते हुए नाना पटोले ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए घोषित राशि नाकाफी है।उन्होंने कहा कि राज्य सरकार किसानों को यह कह कर धोखा दे रही है कि उसने एनडीआरएफ नियमों से ज्यादा सहायता देने का ऐलान किया है। पटोले ने कहा कि एनडीआरएफ के नियम पुराने हो चुके हैं। अब खाद के दाम भी तीन गुना बढ़ गए हैं। इसके अलावा बीज और कीटनाशकों के दाम भी बढ़ गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा घोषित सहायता बढ़ती महंगाई की तुलना में बहुत कम है। पटोले ने आरोप लगाया कि सरकार ने किसानों का उनके हाल पर छोड़ दिया है। केंद्र सरकार ने किसानों की मदद को लेकर अपने हाथ खड़े कर दिए हैं। हमारी सरकार से मांग है कि सामान्य पीड़ित किसानों को 75 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर और बागबानी व बगीचों के किसानों को 1.5 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर की मदद की घोषणा करे।


कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पटोले ने कहा कि उन्होंने खुद बाढ़ से प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया है। राज्य में ओला दुष्काल की स्थिति बनी हुई है लेकिन ऐसा लग रहा है कि सरकार किसानों की उपेक्षा कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को किसानों को पर्याप्त मदद देकर यह संदेश देना चाहिए कि वे किसानों के साथ हैं लेकिन सरकार किसानों के प्रति पूरी तरह से असंवेदनशील है। पटोले ने कहा कि यह सरकार किसानों, मजदूरों और आम लोगों को पूरी तरह से उपेक्षित कर रही है। पटोले ने यह भी कहा कि विधानसभा में बार – बार किसानों के सवाल उठाने के बावजूद सरकार इसका जवाब देने से भाग रही है।

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