ममता कुलकर्णी, जिन्होंने कभी बॉलीवुड की चकाचौंध में अपनी शानदार अदाकारी और बोल्ड अंदाज से लाखों दिलों पर राज किया, अब मोह-माया का त्याग कर आध्यात्मिक जीवन अपना चुकी हैं। पूर्व अभिनेत्री अब किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बन चुकी हैं, जिसे हाल ही में महाकुंभ में दीक्षा देकर औपचारिक रूप से घोषित किया गया। करीब 25 साल बाद भारत लौटीं ममता कुलकर्णी का यह रूप उनके चाहने वालों के लिए चौंकाने वाला है।
महामंडलेश्वर बनने पर प्रतिक्रिया
जहां एक ओर उनके इस आध्यात्मिक परिवर्तन को सराहा जा रहा है, वहीं कुछ लोग इस पर आपत्ति और हैरानी व्यक्त कर रहे हैं। किन्नर अखाड़े में दीक्षा लेकर महामंडलेश्वर बनने के बाद, ममता एक बार फिर सुर्खियों में आ गई हैं।
फिल्मी करियर की बुलंदियां
ममता कुलकर्णी ने 90 के दशक में बॉलीवुड को कई सुपरहिट फिल्में दीं। तिरंगा, आशिक आवारा, और क्रांतिवीर जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों में उनकी दमदार परफॉर्मेंस आज भी याद की जाती है। खास तौर पर फिल्म करण-अर्जुन में उनके काम ने उन्हें खास पहचान दिलाई। गाने 'मुझे राणा जी माफ करना' में उनकी अदाओं ने उन्हें एक आइकॉनिक स्टार बना दिया था।
उनकी बोल्ड अदाएं और शानदार अभिनय ने उन्हें 90 के दशक की सबसे बोल्ड और चर्चित अभिनेत्रियों में शुमार किया। लेकिन अचानक उन्होंने फिल्मों से दूरी बना ली और ग्लैमर की दुनिया को अलविदा कहकर गुमनामी में चली गईं।
आध्यात्मिक यात्रा का आरंभ
ग्लैमर, शोहरत और चकाचौंध भरी जिंदगी को छोड़कर ममता ने आध्यात्मिकता की राह अपनाई। अब वह किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर के रूप में समाज और आध्यात्मिक क्षेत्र में अपनी नई भूमिका निभा रही हैं।
ममता कुलकर्णी का यह सफर एक प्रेरणा बन सकता है कि कैसे कोई व्यक्ति मोह-माया को त्यागकर आध्यात्मिकता की ओर अग्रसर हो सकता है।