हमारे भारत का कानून सिर्फ महिलाओं के लिए है?
यह ऐसा इसके लिए कहा जा रहा है, क्योंकि अतुल सुभाष की मृत्यु को काफी समय हो चुका है, पर अब तक उनको इंसाफ नहीं मिला और ना उनके घर वालो को इंसाफ जब की पूरा देश और अतुल के परिवार वाले उनके इंसाफ के लिए लड़ रहे है।
अगर यही घटना किसी स्त्री के साथ होती तो तुरंत उसपे मुकदमा शुरू हो जाता, पर जब यहां बात किसी मर्द की है तो इंसाफ मिलने में देरी क्यों हो रही है? आखिर क्या है कारण?
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धन्यवाद।