BARC का फैसला, न्यूज चैनलों की TRP पर तीन महीने तक लगा लाकडाउन

Update: 2020-10-15 09:34 GMT

मुंबई। ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) ने फर्जी टीआरपी घोटाले के बाद गुरुवार को न्यूज चैनलों की रेटिंग को अस्थायी रूप से निलंबित करने की घोषणा की। काउंसिल सांख्यिकीय मजबूती में सुधार के लिए माप के वर्तमान मानकों की समीक्षा करने और उन्हें बेहतर बनाने का इरादा रखती है, और इस कवायद के चलते साप्ताहिक रेटिंग 12 सप्ताह तक स्थगित रहेगी। इससे पहले मुंबई पुलिस ने कथित टीआरपी घोटाले में कम से कम 5 लोगों को गिरफ्तार किया था। मुंबई पुलिस ने इस महीने की शुरुआत में घोटाले का भंडाफोड़ किया। गिरफ्तार किए गए लोगों में समाचार चैनलों के कर्मचारी भी शामिल हैं, जबकि पुलिस इस संबंध में अर्नब गोस्वामी के नेतृत्व वाले रिपब्लिक टीवी के अधिकारियों से भी पूछताछ कर रही है। रिपब्लिक टीवी ने कुछ भी गलत करने से इनकार किया है।

गौरतलब है कि TRP (टारगेटिंग पॉइंट्स / टेलीविज़न रेटिंग पॉइंट्स) विशेष चैनल या शो की लोकप्रियता दर्शाता है। जिस शो और चैनल की TRP ज्यादा होती है विज्ञापन भी उसे ही अधिक मिलता है। INTAM और BARC एजेंसियां किसी भी टीवी शो की TRP को मापते हैं। TRP को मापने के लिए कुछ जगहों पर पीपल्स मीटर (People's Meter) लगाये जाते हैं। लगभग हजार दर्शकों पर नमूने के रूप में सर्वे किया जाता है। उनके रुझान और पसंदीदा चैनल की जानकारी ली जाती है और उन्हीं से प्राप्त जानकारी के अनुसार रिपोर्ट तैयार कर यह मान लिया जाता है कि यही सभी दर्शकों का मान है जो TV देख रहे होते हैं। इस पीपलस मीटर (Specific Frequency) के द्वारा यह पता लगाया जाता है कि कौन सा प्रोग्राम या चैनल कितनी बार देखा जा रहा है। इस मीटर के द्वारा एक-एक मिनट TV की जानकारी को मॉनिटरिंग टीम INTAM यानी (Indian Television Audience Measurement ) तक पहुंचा दिया जाता है। ये टीम पीपल्स मीटर से मिली जानकारी को विश्लेषण करने के बाद तय करती है कि किस चैनल या प्रोग्राम की TRP कितनी है। इसका मापन करने के लिए एक दर्शक के द्वारा नियमित रूप से देखे जाने वाले प्रोग्राम और समय को लगातार रिकॉर्ड किया जाता है और फिर इस डाटा को 30 से गुना करके प्रोग्राम का एवरेज रिकॉर्ड निकाला जाता है। यह पीपल्स मीटर किसी भी चैनल और उसके प्रोग्राम के बारे में पूरी जानकारी निकाल लेता है।

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