Lata Mangeshkar Birthday : पिला दे साकी मिला के हमको शराब आधी गुलाब आधा, मिलेगा रोज़-ए-हशर तुझे भी...

Update: 2020-09-28 10:50 GMT

मुंबई। स्‍वर कोकिला Lata Mangeshkar का आज 91वां जन्मदिन है। संगीत की मल्लिका लता मंगेशकर को कई उपाधियों से नवाजा जा चुका है. मध्य प्रदेश के इंदौर में जन्मीं लता मंगेशकर को गायिकी अपने पिता दीनानाथ मंगेशकर से विरासत में मिली थी. लता मंगेशकर ने 36 भाषाओं में 50 हजार से ज्यादा गीत गाए हैं। लता मानती हैं, “पिता का गायन सुन-सुनकर ही मैंने सीखा था, लेकिन मुझ में कभी इतनी हिम्मत नहीं थी कि उनके साथ गा सकूं।” लता मंगेशकर ने क्रांति, पिला दे साक़ी मिला के हमको शराब आधी गुलाब आधा, मिलेगा रोज़-ए-हशर तुझे भी, अज़ाब आधा सबाब आधा, मारा ठुमका बदल गई चाल मितवा…लता के गाए यह गाने आज भी लोग गुनगुनाते रहते हैं। चांदनी, राम लखन, सनम बेवफा, लेकिन, फरिश्ते, पत्थर के फूल, डर, हम आपके हैं कौन, दिल वाले दुल्हनियां ले जाएंगे, माचिस, दिल तो पागल है, वीर जारा, कभी खुशी कभी गम, रंग दे बसंती और लगान जैसी फिल्मों में न जाने कितने सुपरहिट गाने गाए। जिसे बयां नहीं किया जा सकता।

कभी पानी पीकर गुजारे थे दिन

लता मंगेशकर के पास आज सबकुछ है, लेकिन एक समय था जब वो संघर्ष कर रही थी. यतींद्र मिश्र की किताब ‘लता सुर गाथा’ में एक लता जी से जुड़ा ये किस्सा है. लता मंगेशकर ने बताया था, “मैं अक्सर रिकॉर्डिंग करते-करते थक जाती थी और मुझे बड़ी तेज भूख भी लग जाती थी. उस समय रिकॉर्डिंग स्टूडियो में कैंटीन होती थी, मगर खाने के लिए कुछ बेहतर मिलता हो ऐसा मुझे याद नहीं. सिर्फ चाय और बिस्किट वगैरह मिल जाते थे और एक दो कप चाय या ऐसे ही दो-चार बिस्किटों पर पूरा दिन निकल जाता था.''कई बार तो सिर्फ पानी पीते हुए ही दिन बीता। पिता के गुजर जाने के बाद घर की सारी जिम्मेदारियां लता मंगेशकर पर आ गईं थीं। एक इंटरव्यू में लता मंगेशकर ने कहा था कि घर के सभी सदस्यों की जिम्मेदारी मुझ पर थी। ऐसे में कई बार शादी का ख्याल आता भी तो उस पर अमल नहीं कर सकती थी।

बेहद कम उम्र में ही मैं काम करने लगी थी। सोचा कि पहले सभी छोटे भाई बहनों को सेटल कर दूं। फिर बहन की शादी हो गई। बच्चे हो गए। तो उन्हें संभालने की जिम्मेदारी आ गई। इस तरह से वक्त निकलता चला गया और मैंने शादी नहीं की। लता ने मोहम्मद रफी के साथ सैकड़ों गीत गाए थे, लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया था जब उन्होंने रफी से बातचीत तक बंद कर दी थी। लता गानों पर रॉयल्टी की पक्षधर थीं, जबकि मोहम्मद रफी ने कभी भी रॉयल्टी की मांग नहीं की। दोनों का विवाद इतना बढ़ा कि मोहम्मद रफी और लता के बीच बातचीत भी बंद हो गई और दोनों ने एक साथ गीत गाने से इनकार कर दिया। 3 साल बाद अभिनेत्री नरगिस के प्रयास से दोनों ने एक साथ एक कार्यक्रम में 'दिल पुकारे' गीत गाया। लता को अपने सिने करियर में मान-सम्मान बहुत मिला। वह फिल्म इंडस्ट्री की पहली महिला हैं जिन्हें भारत रत्न और दादा साहब फाल्के पुरस्कार प्राप्त हुआ।

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