तुमको ना भूल पाएंगे 2020, नौकरियां छीनी,प्रवासी मजदूरों को रूलाया,2021 के जश्न को भी किया फीका

Update: 2021-01-01 11:07 GMT

फाइल photo

कोरोना ने न सिर्फ अर्थव्यवस्था को पटरी से उतार दिया बल्कि लाखों लोगों का रोजगार भी छीन लिया। 2020 में हर तरफ दुख-दर्द की तस्वीर नजर आई। लॉकडाउन के दौरान देश ने जो देखा वो भी पहली बार ही नजर आया। बसों-ट्रेनों के बंद होने से लाखों प्रवासी मजदूर पैदल ही अपने घरों के लिए निकल पड़े। सिर पर सामान की गठरी और साथ में छोटे-छोटे बच्चे, ये नजारा कभी न भुलाया जा सकेगा। कई लोगों ने रास्ते में ही तड़पकर दम तोड़ दिया। कोरोना की चपेट में पहले शहर आए और फिर गांव। केंद्र और राज्य सरकारों ने सख्त उपाय कर इसे रोकने की कोशिश की। बावजूद इसके एक वक्त ऐसा भी था जब रोजाना करीब एक लाख मामले सामने आने लगे थे। अब इसकी रफ्तार में कमी आई है पर खतरा बरकरार है। कोरोना के नए स्ट्रेन ने नई चिंता पैदा कर दी है।  कोरोना ने साल 2021 के जश्न को पूरी तरह फीका कर दिया। न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया में 2021 का आगाज वैसा नहीं हुआ जैसा पहले होता रहा है। 2020 में हमने जान की कीमत को सबसे ज्‍यादा जाना और महसूस किया, उसी साल में हमने अपनी और दूसरों की जान से खि‍लवाड़ करने की सबसे ज्‍यादा लापरवाहियां भी की हैं।

कोरोना वायरस से हमें अपनी लड़ाई जारी रखनी होगी



 


जब पहली बार लॉकडाउन लगा तो हमारी दुनिया पूरी तरह से बदल चुकी थी, तब हमने सोचा कि अब शायद हम लाइफ के बेसिक की तरफ लौटेंगे, हमारा एक 'नॉर्मल' होगा जिसे हम 'न्‍यू नॉर्मल' कहेंगे। यह सिर्फ एक भ्रम था, हमने दुनिया की सबसे बड़ी त्रासदी से भी कोई सबक नहीं सीखा। कुछ ही महीनों में हम वापस अपने पुराने ढर्रे पर लौट आए, जैसे हमें इस भयावह त्रासदी से कोई फर्क ही न पड़ा हो। इस त्रासदी में हर एक ने कुछ न कुछ खोया है,इस संक्रमण की नजर में कोई छोटा-बड़ा, अमीर और गरीब नहीं था, इसने किसी तरह की जात-पात, ऊंच-नीच और कोई हैसियत नहीं देखी। कहते हैं कि उम्मीद पर दुनिया टिकी है, तमाम तकलीफों के बाद हम नए साल से उम्‍मीद पाले बैठे हुए हैं कि एक आंकड़ा बदलेगा और सबकुछ ठीक हो जाएगा। 2020 खत्‍म होगा और 2021 में हमें सारी तकलीफों से निजात मिल जाएगी। लेकिन सच तो यही है कि 2020 के खत्‍म होने के साथ महामारी भी चली जाएगी वाली जो खुशी मिल रही है, वो फि‍लहाल सिर्फ एक उम्मीद है, हकीकत नहीं। किसी भी लड़ाई को जीतने के लिए जज्बे के साथ हकीकत पता होना भी जरूरी है, गुजरे साल का खत्‍म होना और नए साल का आना कैलेंडर पर महज तारीख बदलना है, अभी भी दुनिया के बहुत से हिस्सों में लॉकडाउन लगा हुआ है, लाखों लोग अभी भी इसकी चपेट में हैं। कोरोना वायरस से हमें अपनी लड़ाई जारी रखनी होगी।

न्यू ईयर पर सूना-सूना दिखाई दिया मुंबई का जुहू बीच


 


कोरोना महामारी के बीच नए साल 2021 के स्वागत में मायानगरी का जुहू बीच इस बार गुलजार नहीं हुआ। नए साल पर गुलजार रहने वाली जुहू चौपाटी पर इस बार सन्नाटा पसरा रहा. कोरोना की महामारी के दौरान कठिन दौर से गुजरे मुंबई के लोगों ने सरकार की ओर से जारी गाइडलाइंस का पालन किया. रात 11 बजे के बाद मुंबई के लगभग हर महत्वपूर्ण स्थान जैसे मरीन ड्राइव, गिरगांव चौपाटी, बांद्रा बैंडस्टैंड और जुहू बीच पूरी तरह खाली रहे. यहां तक कि मुंबई की सड़कें भी खाली रहीं. मुंबई नाइट लाइफ के लिए प्रसिद्ध है. पार्टियों का दौर सुबह 6 बजे तक चलता है. कोरोना की महामारी के कारण मुंबई में 5 जनवरी तक नाइट कर्फ्यू लागू है. मुंबई पुलिस ने धारा 144 लागू की है. इसका असर देखने को भी मिला. पार्टियों पर प्रतिबंध का असर इस कदर नजर आया कि होटल, रेस्टोरेंट और पब की कौन कहे, इमारत या सोसाइटी परिसर, घरों की छत पर भी पार्टियां नहीं हुईं.मरीन ड्राइव, गिरगांव चौपाटी, बांद्रा बैंडस्टैंड, जुहू समुद्र तट पर आम दिनों में बड़ी तादाद में लोग पहुंचते थे. पूरी रात लोग नाचते-गाते थे. लेकिन इसबार ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. भीड़ बिल्कुल ना के बराबर नजर आई।

-सुभाष गिरी- 

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