कैसे विधायक श्रीनिवास वनगा शिवसेना में हुए शामिल, क्या है पीछे की कहानी मैक्स महाराष्ट्र पर, प्रवीण मिश्रा की जुबानी

स्वर्गीय सांसद चिंतामण वनगा के बेटे है श्रीनिवास वनगा,पिता ने सब कुछ पार्टी के लिए किया लेकिन अंतिम समय कोई नेता नहीं आया शिवसेना दी शरण तो अब बागियों के साथ है

Update: 2022-06-22 04:41 GMT

मुंबई: पालघर के विधायक श्रीनिवास वनगा के शिवसेना में लाना कोई था तो वो थे एकनाथ शिंदे, शिवसेना वनगा को पार्टी में लेने पर सहमत नहीं थी लेकिन शिंदे एक बार निवेदन पर उद्धव ठाकरे ने श्रीनिवास वनगा को शिव रक्षा बांधकर पार्टी में शामिल किया। उस बार मातोश्री में मैं पहली गया था। अपने खुद के अनुभव को इस ब्लॉग के माध्यम से आप तक पहुंचाने का मेरा मकसद क्या है उसे बताने का मेरा प्रयास।

शिवसेना में भाजपा से तोड़कर लाने वाले ज्यादातर नेताओं को शिवसेना पार्टी में लाने का अगर किसी ने किया तो वो एकनाथ शिंदे थे। विधायक दल के नेता के साथ शहरी विकास और पालक मंत्री दोनों पद पार्टी ने उनको दिया था। पार्टी के लिए काम करना हर नेता की जिम्मेदारी बनती कि वो काम करना करे, एकनाथ शिंदे ने भी वहीं काम किया, लेकिन तरीका गलत है। एकनाथ शिंदे को पार्टी में वापस लाने के लिए शिवसेना के कई नेताओं की जब प्रतिक्रिया लेने का प्रयास किया गया तो उनके आंखें में आसु देखे जिसमें मुंबई की मेयर किशोर पेडनेकर की आंखे भर आई और कैमरे उन्होंने हाथ जोडकर एकनाथ शिंदे से पार्टी में वापस आने का निवेदन किया।




 

याद है मुझे वो दिन सरकार गठबंधन की ही थी शिवसेना बीजेपी की, भाजपा के वरिष्ठ सांसद और पार्टी के लिए अपना सब कुछ न्योछावर करने वाले चिंतामणी वनगा का निधन हो गया। पार्टी का कोई वरिष्ठ नेता उनके घर तक नहीं गया जिन्होंने पालघर में पार्टी की जड़ों को मजबूत किया उनके निधन के बाद पार्टी के इस रवैये से परेशान वनगा परिवार को शिवसेना में लाने के लिए एकनाथ शिंदे ने जो जाल रचा जिसकी कानों कान खबर भाजपा तक को नहीं चली। अगर कोई जानता था शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, एकनाथ शिंदे और वनगा परिवार।

यह घटना 3 मई 2018 की भाजपा की आंख में धुल झोंकर बड़े ही नाटकीय तरीके से वनगा परिवार को पालघर से एक फॉर्च्यूनर कार से मुंबई के खेरवाडी इलाके के होटल में लाया गया। शिवसेना की कोई बड़ी खबर है यह एकनाथ शिंदे ग्रुप के रिपोर्टरों को ही पता थी लेकिन क्या है उनको भी एकनाथ शिंदे ने अधर में रखा था। समय दो बजे का अपने खास रिपोर्टरों को एकनाथ शिंदे ने होटल में आने का दिया था। लेकिन वनगा परिवार थोडे विलंब से पहुंचा रिपोर्टर बार बार पूछ रहे थे। लेकिन शिवसेना उन लोगों को पता नहीं था जिन्होंने इंतजाम किया था। जब मैंने पूछा तो एक शिंदे समर्थक ने कहा कि थोडा वेळात शिंदे साहेब ऐणार आहे का आहे नक्की मला पण माहित!!




 

घंटो इंतजार के वनगा परिवार होटल में में आया श्रीनिवास वनगा के उनकी धर्मपत्नी वर्षा वनगा, मां, जीजा और बहन दो तीन बच्चों के साथ आए। बंदोबस्त भी बहुत था। लेकिन होटल से अंदर और बाहर तक किसी को पता नहीं था क्या हो रहा है क्या होने वाला है किसी को पता नहीं था। कुछ समय के बाद श्रीनिवास वनगा ने कहा कि मैं पालघर के स्वर्गीय सांसद का बेटा हूं यह मेरा पूरा परिवार है, अपना पूरा परिचय दिया भाजपा के प्रति पूरे परिवार में गुस्सा और बदले की भावना मैंने देखी जो महसूस की थी। वनगा परिवार के आंसुओं को मैंने देखा स्टोरी बहुत छोटी थी बड़े किसी चैनलों ने स्टोरी शतक खबर में चलाई लेकिन रीजनल चैनलों थोडी सी स्टोरी को ट्वीस्ट करके चलाया लेकिन इतना नहीं।

कैमरे के सामने पूरे वनगा परिवार के आंखों में आंसू थे उस समय पार्टी में शिव रक्षा कवच बांधकर शिवसेना ने ही शरण दी पार्टी में लाने वाला भले ही कोई हो लेकिन शरण देने वाला महान होता है। श्रीनिवास वनगा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि 3 महीने होने के होने को आये लेकिन पार्टी को उनके वरिष्ठ स्वर्गीय नेता चिंतामणी वनगा परिवार से मिलने घर कोई नहीं आया। वहीं मुख्यमंत्री और प्रदेशाध्यक्ष से मिलने की कोशिश की लेकिन सबने मुंह फेर लिया, पार्टी कार्यालय और उनके दफ्तर में अंदर तक नहीं जाने दिया जाता। अब पालघर से लोकसभा सीट खाली हुई थी संसदीय सीट पर उपचुनाव था। श्रीनिवास वनगा ने पार्टी के रवैये से नाराज वनगा परिवार ने भाजपा को सबक सिखाने के लिए शिवसेना में प्रवेश किया है। श्रीनिवास वनगा का प्रयास था कि पार्टी इस सीट वनगा परिवार को उम्मीदवार बनाए इसी बात को लेकर भाजपा नेताओं ने मिलने साफ मना कर दिया।

शिवसेना ने श्रीनिवास वनगा को चुनाव मैदान उतारा तो भाजपा ने राजेंद्र गावित को चुनाव मैदान में उतारा वनगा हार गए। इसके बाद दूरे लोकसभा चुनाव की घोषणा के भाजपा के सांसद राजेंद्र गावित भी शिवसेना में शामिल हो गए शिवसेना यह सीट लोकसभा के लिए राजेंद्र गावित के दे दिया बदले में श्रीनिवास वनगा को विधानसभा की उम्मीदवारी देने की बात कही। वनगा मान गए और शिवसेना उनको पालघर से विधायक बनाया वो जीतकर आए। लेकिन श्रीनिवास वनगा के इस इस कदम से राजनीतिक इतिहास में इधर से उधर वाली राजनीति में वनगा कि राजनीति की दुकान जमकर चली तो चली नहीं तो शटर डाउन हो जाएगी।

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