गुइलेन बैरे सिंड्रोम (Guillain-Barré Syndrome - GBS) एक दुर्लभ लेकिन गंभीर ऑटोइम्यून न्यूरोलॉजिकल विकार है, जिसमें इम्यून सिस्टम गलती से शरीर की नसों (nerves) पर हमला करने लगता है। यह बीमारी तेजी से फैल सकती है और शरीर में कमजोरी से लेकर पक्षाघात (paralysis) तक का कारण बन सकती है।
गुइलेन बैरे सिंड्रोम क्या है?
गुइलेन बैरे सिंड्रोम एक ऑटोइम्यून विकार है, जिसमें शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली (immune system) स्वस्थ नसों पर हमला कर देती है। इस कारण नसों के चारों ओर मौजूद मायलिन शीथ (Myelin sheath) क्षतिग्रस्त हो जाती है, जिससे मस्तिष्क से शरीर तक जाने वाले संकेत बाधित होते हैं।
GBS का असर कैसे होता है?
✅ शरीर में झुनझुनी और सुन्नपन शुरू होता है
✅ हाथ-पैरों में कमजोरी आने लगती है
✅ शरीर का संतुलन बिगड़ जाता है
✅ धीरे-धीरे पक्षाघात (Paralysis) की स्थिति आ सकती है
✅ गंभीर मामलों में सांस लेने में दिक्कत हो सकती है
गुइलेन बैरे सिंड्रोम के कारण
GBS के सटीक कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन यह बीमारी अक्सर वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण के बाद विकसित होती है। कुछ मुख्य कारण इस प्रकार हैं:
🔹 वायरल संक्रमण: कोविड-19, फ्लू, जीका वायरस, डेंगू आदि
🔹 बैक्टीरियल संक्रमण: Campylobacter jejuni बैक्टीरिया (खाने से जुड़ा संक्रमण)
🔹 सर्जरी या टीकाकरण के बाद
🔹 ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया – शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली नसों को नुकसान पहुंचाने लगती है
गुइलेन बैरे सिंड्रोम के लक्षण
GBS के लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं और कुछ दिनों या हफ्तों में तेज़ी से बढ़ सकते हैं।
✅ पैरों में झुनझुनी या सुन्नपन
✅ मांसपेशियों में कमजोरी जो ऊपर की ओर बढ़ती है
✅ चलने या संतुलन बनाने में कठिनाई
✅ हृदय गति और ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव
✅ श्वसन तंत्र प्रभावित होने पर सांस लेने में परेशानी
👉 गंभीर मामलों में, मरीज को ICU में भर्ती करने की जरूरत पड़ सकती है।
GBS का निदान कैसे किया जाता है?
डॉक्टर न्यूरोलॉजिकल परीक्षण और कुछ मेडिकल जांचों के आधार पर इस बीमारी की पुष्टि करते हैं, जैसे:
🔍 लंबर पंक्चर (Lumbar Puncture): रीढ़ की हड्डी से द्रव निकालकर परीक्षण किया जाता है।
🔍 इलेक्ट्रोमायोग्राफी (EMG): नसों की कार्यक्षमता की जांच होती है।
🔍 नर्व कंडक्शन स्टडी (NCS): नसों में विद्युत संकेतों की गति मापी जाती है।
गुइलेन बैरे सिंड्रोम का इलाज
GBS का कोई निश्चित इलाज नहीं है, लेकिन समय पर इलाज से मरीज पूरी तरह ठीक हो सकता है।
🔹 इम्यूनोग्लोबुलिन थेरेपी (IVIG): प्रतिरक्षा प्रणाली को संतुलित करने के लिए।
🔹 प्लाज्मा एक्सचेंज (Plasmapheresis): शरीर से हानिकारक एंटीबॉडी हटाने के लिए।
🔹 फिजियोथेरेपी: ताकत और मूवमेंट सुधारने के लिए।
🔹 सपोर्टिव केयर: गंभीर मामलों में ICU में भर्ती करके ऑक्सीजन सपोर्ट दिया जाता है।
✅ अधिकतर मरीज 6 महीने से 1 साल में पूरी तरह ठीक हो जाते हैं।
गुइलेन बैरे सिंड्रोम से बचाव कैसे करें?
GBS को पूरी तरह से रोकना संभव नहीं है, लेकिन कुछ सावधानियां बरतकर जोखिम को कम किया जा सकता है।
✔️ संक्रमण से बचने के लिए स्वच्छता का ध्यान रखें।
✔️ संतुलित आहार और अच्छी इम्यूनिटी बनाए रखें।
✔️ वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण के लक्षणों को नज़रअंदाज न करें।
✔️ यदि टीकाकरण के बाद कोई असामान्य लक्षण महसूस हों तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
निष्कर्ष
गुइलेन बैरे सिंड्रोम (GBS) एक गंभीर लेकिन दुर्लभ बीमारी है, जो संक्रमण के बाद नसों को प्रभावित करती है। हालांकि, समय पर इलाज और सही देखभाल से मरीज पूरी तरह ठीक हो सकता है। अगर आपको शरीर में सुन्नपन, कमजोरी या संतुलन बनाने में दिक्कत हो रही है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।